मोहम्मद रफी (Mohammad Rafi) की आवाज के बिना हिंदी संगीत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। उनके शास्त्रीय संगीत पर आधारित गीतों की अद्भुत दुनिया है। 1950 से 1970 के बीच, रफी ने कई सुपरहिट गीत गाए और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनाई। हिंदी फिल्मों में उनकी आवाज का जादू चलता था। यही कारण है कि चौदहवीं का चांद हो (फिल्म – चौदहवीं का चांद), हुस्नवाले तेरा जवाब नहीं (फिल्म– घराना), तेरी प्यारी प्यारी सूरत को (फिल्म– ससुराल), मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की कसम (फिल्म– मेरे महबूब), चाहूंगा मैं तुझे (फिल्म– दोस्ती), बहारों फूल बरसाओ (फिल्म– सूरज), दिल के झरोखे में (फिल्म– ब्रह्मचारी), क्या हुआ तेरा वादा (फिल्म– हम किसी से कम नहीं), खिलौना जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो (फिल्म-खिलौना) जैसे गाने आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं और भारत के किसी कोने में रोज ये गाने गुनगुनाये-सुने जाते हैं।