खुद मिट के बेनकाब किया पर्दा-ए-हयात
तस्वीर-ए-जिंदगी का तो अवकाश हो गया,
यूं हुरमते वतन पे हुआ करते हैं फिदा
दुश्मनों को आज ये एहसास हो गया।
1930 में लाहौर के अखबार में छपी ये कविता समर्पित है हमारे आज के नायक को जिन्होंने ऐतिहासिक लाहौर कांड को अंजाम देकर अंग्रेज हुकूमत की नींव हिलाकर रख दी थी, जिनका नाम भारतीय शहीदों की उस प्रथम पंक्ति में हमेशा सम्मान और आदर से लिया जाता है जिसमें भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के नाम हैं। जी हां, आज के हमारे नायक हैं अमर शहीद सुखदेव थापर (Sukhdev Thapar)।
सुनिए अमर शहीद सुखदेव की कहानीः