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Atal Bihari Vajpayee: एक कवि हृदय राजनेता जिनके जीवन का ध्येय वाक्य था.. हार नहीं मानूंगा

अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि

अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) राजनैतिक शुचिता के एकमात्र प्रतीक बनकर भारतीय राजनीति के आकाश पर किसी जाज्वल्यमान नक्षत्र की भांति जगमगा रहे हैं। कविहृदय अटल (Atal Bihari Vajpayee) से वैचारिक भिन्नता के बावजूद आलोचक भी इनके सामने नतमस्तक हो उठते थे। मानव जीवन की एक अनिवार्यता है, यह कभी न कभी, कहीं न कहीं जाकर रुकती है। इनमें कुछ लोग ऐसे होते हैं जो काल के महासागर में कहीं विलीन हो जाते हैं। इनमें कुछ ऐसे भी महामानव होते हैं जो अपने जीवन काल में ही एक मिथक बन जाते हैं।

अटल (Atal Bihari Vajpayee) का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक विनम्र स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। निजी जीवन में प्राप्त सफलता उनके राजनीतिक कौशल और भारतीय लोकतंत्र की देन है। पिछले कई दशकों में वह एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जो विश्व के प्रति उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता को महत्व देते थे।

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16 अगस्त, 2018 को लंबी बीमारी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का निधन हो गया था। अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही चल पाई थी। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली थी। 1999 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया। 2004 के बाद तबीयत खराब होने की वजह से उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली थी। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।