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नरगिस जन्मदिन विशेष: महज 5 साल की उम्र से की अभिनय की शुरुआत, हिंदी सिनेमा की ‘प्रथम महिला’ के तौर पर मिली पहचान

Remembering Nargis Dutt on her Birth Anniversary

एक जून, 1929 को हिंदू-मुसलिम माता-पिता मोहन बाबू और जद्दन बाई के घर जिस बच्ची ने जन्म लिया, उसे नाम दिया गया ‘फातिमा रशीद’ जो बाद में ‘नरगिस’ (Nargis) के नाम से मशहूर हुई। हिंदी सिनेमा की ‘प्रथम महिला’ कही जानेवाली और बेजोड़ अभिनेत्री के रूप में याद की जाने वाली नरगिस की जगह भरने की कई अभिनेत्रियों ने कोशिश तो की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाई।

वैसे कुछ लोग यह खिताब देविका रानी को भी देते हैं, लेकिन ज्यादा लोकप्रियता नरगिस के ही हिस्से में आई। नरगिस (Nargis) को 1950 के दशक में शुरू हुए भारतीय ‘सिनेमा के स्वर्णयुग’ से जोड़कर देखा जाता है। कॉन्वेंट स्कूल में पढ़नेवाली इस लड़की ने बचपन में डॉक्टर बनने की ख्वाहिश पाली थी, लेकिन उसने पांच साल की उम्र में ‘तलाश-ए-हक’ के लिए कैमरे का सामना किया।

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14 साल की उम्र में वह पहली बार हीरोइन की भूमिका में नजर आईं-महबूब खान की फिल्म ‘तकदीर’ में, जिसमें नायक की भूमिका मोतीलाल ने निभाई थी। उनके करियर को 1948 में एक नई ऊंचाई मिली, जब एक साथ उनकी तीन फिल्में ‘अनोखा प्यार’, ‘मेला’ और ‘अंजुमन’ रिलीज हुईं।

राज कपूर की अपनी निर्देशन में बनने वाली पहली फिल्म ‘आग’ ने तो उनके लिए शोहरत के सभी दरवाजे खोल दिए, लेकिन 1949 में बनी महबूब खान की सुपर हिट फिल्म ‘अंदाज’ की सफलता ने उन्हें लोकप्रियता के शिखर पर बिठा दिया, जिसमें उन्होंने फिल्मी नारी की परंपरागत छवि से आधुनिक नारी की भूमिका को निभाया। उसके बाद उनकी ‘बरसात’, ‘आवारा’, ‘आह’, ‘श्री चार सौ बीस’, ‘जागते रहो’ और ‘चोरी-चोरी’ फिल्में आईं। नरगिस -राज कपूर की जोड़ी ने रोमांटिक फिल्मों को एक नई दिशा दी।

1957 में बनी ‘मदर इंडिया’ ने नरगिस (Nargis) को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई। इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी सुनील दत्त से दोस्ती बढ़ी और दोनों विवाह-बंधन में बंध गए। फिल्म ‘मदर इंडिया’ के लिए नरगिस को ‘कार्लोवीवैरी समारोह’ में ‘सर्वश्रेठ अभिनेत्री’ का सम्मान मिला। एक पत्रकार ने उस समय लिखा, ‘मदर इंडिया’ नरगिस के लिए वही है जो मार्लन ब्रांडो के लिए ‘गॉडफादर’। तीन बच्चों-संजय, नम्रता और प्रिया की परवरिश के लिए नरगिस ने सिनेमा को अलविदा कह दिया। उनकी आखिरी फिल्म थी ‘रात और दिन’, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

फिल्मों को छोड़कर नरगिस (Nargis) पूरी तरह समाज सेवा में संलग्न हो गईं, जिसके लिए उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया और राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। राज्यसभा के लिए मनोनीत होने वाली वह पहली अभिनेत्री थीं। कैंसर से जूझने के बाद 3 मई, 1981 में सिर्फ 52 साल की उम्र में नरगिस ने दुनिया छोड़ दी।

नरगिस (Nargis) के निधन के बाद उनके बेटे संजय दत्त की पहली फिल्म ‘रॉकी’ रिलीज हुई। फिल्म के प्रीमियर के समय उनकी याद में सुनील दत्त और संजय ने अपने बीच एक सीट खाली ही छोड़ दी थी। यह सीट कभी नहीं भर पाएगी। लोग आएँगे-जाएँगे, लेकिन नरगिस की जगह हमेशा खाली ही रहेगी।