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WHO ने माना, आतंकी हमले से ज्यादा खतरनाक है कोरोना, टीका बनाने में लग सकता है सालभर का वक्त

Coronavirus

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस (Coronavirus) को किसी आतंकवादी हमले से भी अधिक खतरनाक बताते हुए कहा कि यह दुनिया में उथल–पुथल मचा सकता है और इसलिए सभी देशों को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना चाहिए। ‘कोविड–19 (Coronavirus)’ पर नियमित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डब्ल्यूएचओ (WHO) के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस गेब्रियेसस ने कहा‚ ‘इस वायरस को हराने के लिए इतिहास के किसी भी क्षण से अधिक इस समय मानव जाति को एक साथ खड़े होने की जरूरत है। मैं पहले भी कह चुका हूं कि यह वायरस (Coronavirus) कहर बरपा सकता है। यह किसी आतंकवादी हमले से भी बढ़कर है। यह राजनीतिक‚ आर्थिक और सामाजिक उथल–पुथल मचाने में सक्षम है। चयन हमारे हाथ मैं है और हमें राष्ट्रीय स्तर पर एकता और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता को चुनना चाहिए।’

कोविड–19 (Coronavirus) के लिए टीके के विकास के बारे में पूछे जाने पर तेद्रोस ने कहा कि दो महीने पहले बताया गया था कि एक–डेढ़ साल में टीका विकसित कर लिया जाएगा। तो अनुमानित समय के अनुसार आने वाले 10 से 16 महीने में टीका बन जाना चाहिए लेकिन हमने इस काम में और तेजी लाने के लिए पिछले सप्ताह एक पहल की शुरुआत की थी जिसमें कई एजेंसियां और कई देश मिलकर काम कर रहे हैं।

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उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक 23 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया है‚ लेकिन यह काफी नहीं है। उसकी योजना और स्वास्थ्य कर्मियों की प्रशिक्षित करने की है। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने कहा‚ कोरोना (Coronavirus) संदिग्ध की जांच करनी चाहिए और उनके संपर्क में आए ऐसे व्यक्ति की भी जांच की जानी चाहिए जिनमें बीमारी के लक्षण हैं।

डब्ल्यूएचओ (WHO) ने स्पष्ट किया है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देश के हर व्यक्ति की जांच करना जरूरी नहीं है। भारत में जरूरत से कम जांच के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर डब्ल्यूएचओ (WHO) की टेक्निकल लीड डॉ. मरिया वैन कोरखोव ने कहा‚ ‘इसे लेकर शायद कुछ गलतफहमी हैं कि जब हम ‘जांच करें‚ जांच करें‚ जांच करें’ कहते हैं तो इसका मतलब हर व्यक्ति की जांच करने से है। हमारा यह मतलब कतई नहीं है। इसका मतलब है कि संक्रमण का पता लगाने में आक्रमक रवैया अपनाते हुए हर संदिग्ध की जांच करनी चाहिए। साथ ही उनके संपर्क में आने वाले हर ऐसे व्यक्ति की भी जांच की जानी चाहिए जिनमें इस बीमारी के लक्षण हैं।’