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जन्मदिन विशेष: कारगिल युद्ध के हीरो थे कैप्टन विक्रम बतरा, मरणोपरांत मिला था परमवीर चक्र

कैप्टन विक्रम बतरा (फाइल फोटो)

विक्रम बतरा (Vikram Batra) अपने स्‍कूल के समय से ही काफी बहादुर थे और सेना में भर्ती होने के बाद उनके साहस को देखकर उनका नाम शेरशाह रखा गया था। वह अपने साथियों के बीच इसी नाम से लोकप्रिय हुए थे।

नई दिल्ली: आज यानी 9 सितंबर का दिन भारत के इतिहास का स्वर्णिम दिन है। साल 1974 में इसी दिन भारत के हीरो और करोड़ों देशवासियों के दिल में राज करने वाले विक्रम बतरा (Vikram Batra) ने जन्म लिया था।

दुनिया उन्हें कारगिल युद्ध के नायक और शहीद कैप्टन विक्रम बतरा (Vikram Batra) के रूप में जानती है। उनके अंदर देशसेवा की भावना कूट-कूटकर भरी थी। इसका अंदाजा यूं लगाया जा सकता है कि जह वह महज 18 साल के थे, तभी उन्होंने नेत्रदान करने का फैसला किया था। वह अपने नेत्र बैंक का कार्ड हमेशा साथ रखते थे।

विक्रम बतरा (Vikram Batra) अपने स्‍कूल के समय से ही काफी बहादुर थे और सेना में भर्ती होने के बाद उनके साहस को देखकर उनका नाम शेरशाह रखा गया था। वह अपने साथियों के बीच इसी नाम से लोकप्रिय हुए थे।

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विक्रम का बचपन का नाम लव था और उनका जन्म हिमाचल प्रदेश में 9 सितंबर 1974 को पालमपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम गिरधारी लाल बतरा और माता का नाम कमला बतरा है।

विक्रम बचपन से ही पढ़ाई और खेलों में काफी रुचि रखते थे। उन्होंने डीएवी चंडीगढ़ व केंद्रीय विद्यालय से शिक्षा ली थी। जुलाई 1996 में उन्होंने भारतीय सेना अकादमी देहरादून में प्रवेश लिया था।

उन्हें पहली नियुक्ति 6 दिसंबर 1997 को जम्मू के सोपोर में सेना की 13 जम्मू-कश्मीर रायफल्स में बतौर लेफ्टिनेंट मिली थी। साल 1999 में विक्रम बतरा ने कमांडो प्रशिक्षण के साथ अन्य प्रशिक्षण भी हासिल किए थे और 1 जून 1999 को विक्रम बतरा की टुकड़ी को कारगिल युद्ध में भेजा गया था।

हम्प और रॉकी नामक जगहों को जीतने के बाद विक्रम को सेना में कैप्टन बना दिया गया था। लेकिन साथी नवीन की जान बचाने के लिए जब वह बंकर से बाहर आए तो दुश्मनों की गोली का शिकार बन गए और शहीद हो गए।

15 अगस्त 1999 को उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया। यह अवार्ड राष्ट्रपति ने उनके पिता जीएल बतरा को दिया था।