उत्तराखंड में हुए हादसे (Uttarakhand Glacier Burst) तपोवन-विष्णुगाड में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए पिछले एक हफ्ते से चल रहा है।
Uttarakhand Glacier Burst: उत्तराखंड में पिछले रविवार यानी 7 फरवरी को हुए हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 53 लोगों की मौत हो गई है। आज रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कुल 12 शव बरामद किए गए हैं। आशंका जताई जा रही थी कि सुरंग के अंदर करीब 35 लोग फंसे थे। इसके अलावा पूरे इलाके से अब तक 154 लोग लापता हैं। लापता लोगों की तलाश के लिए आईटीबीपी सर्च ऑपरेशन कर रही है।
सुरंग के अंदर बचाव कार्य पिछले 9 दिनों से लगातार जारी है, लेकिन भारी तादाद में मलबा जमा होने के चलते रेस्क्यू की रफ्तार धीमी है। अभी तक 140 मीटर तक मलबा साफ किया जा चुका है। सुरंग के अंदर ड्रिल के करके भी फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
इस बीच सुरंग से लाशों का मिलना शुरू हो गया है। 14 फरवरी को टनल से आलम पुंडीर की लाश मिली, वह इलेक्ट्रिशियन था। उसके भाई सूरज पुंडीर ने लाश की पहचान की। उसने कहा, “मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या बोलूं, जब अधिकारियों ने मेरे भाई की लाश की पहचान कराई तो मेरी सारी उम्मीद मर गई, मेरे भाई की पांच बेटियां हैं, सबसे छोटी वाली की उम्र 8 महीने है, अब मैं उन्हें क्या जवाब दूंगा।”
टनल में फंसे सहारनपुर के इंजीनियर सादिक अली के पिता शराफत अली भी तपोवन टनल के बाहर बेचैन हैं। उनका कहना है कि जब से टनल से लाशों के मिलने का सिलसिला शुरू हुआ, तब से मेरे पैर कांप रहे हैं, मेरी सभी उम्मीद खत्म हो गई, अब लगता है कि कभी भी अफसर मुझे बुलाकर बेटे की लाश की पहचान करने के लिए कह सकते हैं।
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इसके अलावा, राज्य आपदा प्रतिवादन बल के सूत्रों से मिली सूचना के अनुसार, रैणी गांव से भी रविवार को एक शव बरामद हुआ जिसकी पहचान अभी नहीं हुई है। शवों से मिले आभूषण, टैटू और दूसरे पहचान चिन्हों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर उन्हें सुरक्षित रखा जा रहा है।
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बता दें कि तपोवन-विष्णुगाड में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए पिछले एक हफ्ते से सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और भारत तिब्बत सीमा पुलिस का संयुक्त बचाव अभियान युद्धस्तर पर चल रहा है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के डेप्युटी कमांडेंट आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि बचाव अभियान जारी है।