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13 साल की उम्र में डकैतों ने कर लिया था अगवा, अब प्रधानी का चुनाव लड़ने जा रही यह पूर्व दस्यु सुंदरी

सुरेखा।

5 साल के बागी जीवन में सुरेखा (Surekha) पर जालौन के उरई में 11 मुकदमे दर्ज थे। इसके अलावा भिंड में 3 मुकदमे और इटावा जनपद में आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज थे।

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के इटावा में एक ऐसी महिला प्रधानी का चुनाव लड़ने जा रही है जिसने चौदह सालों तक जेल की सजा काटी है। इस महिला का मन अब गांव में रहकर, गांव वालों के लिए कुछ करने का जज्ब जागा है। यह महिला कोई और नहीं दस्यु सुन्दरी सुरेखा (Surekha) है। इटावा जनपद के चम्बल में आतंक मचाने वाला खूंखार डकैत सलीम गुर्जर, पूर्व दस्यु सुन्दरी सुरेखा को 13 साल की उम्र में अगवा कर ले गया था।

यह साल 1999 की बात है। उसने सुरेखा से शादी कर ली। जिससे उसका एक बच्चा भी हुआ। सुरेखा बताती है कि बागी जीवन मे उसने कभी किसी निर्दोष पर अत्याचार नहीं किया था। साल 2004 में वह गर्भवती। इसी दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ (Encounter) हुई, जिसमें वह जंगल से भाग नहीं पाई और पुलिस के हत्थे चढ़ गई।

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इसके बाद पुलिस हिरासत में मध्य प्रदेश के भिंड जिले की जेल में बेटे सूरज को जन्म दिया। 2006 में सलीम का एनकाउंटर हो गया था। 5 साल के बागी जीवन में सुरेखा (Surekha) पर जालौन के उरई में 11 मुकदमे दर्ज थे। इसके अलावा भिंड में 3 मुकदमे और इटावा जनपद में आधा दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज थे। उसने 14 साल जेल में बिताया।

सजा पूरी होने के बाद अदालत ने उसे सभी मुकदमों से बरी कर दिया है। जेल से छूटने के बाद सुरेखा लगभग 20 साल बाद वापस अपने घर पहुंची। उसका सहसों थाना का गांव बदनपुरा है। फिलहाल, वह यहीं वहपर अपने भाई के परिवार के साथ अपने बेटे को लेकर रह रही है। सुरेखा ने गांव की बेटियों एवं महिलाओं को सिलाई का काम सिखाने का बीड़ा भी उठाया है।

जिसके चलते आज गांव में अच्छी छवि बन जाने के बाद ग्रामीणों के कहने पर ग्राम पंचायत चुनाव में प्रधान पद पर दावेदारी के लिए मैदान में उतर चुकी है। सुरेखा अपने बेटे सूरज को पढ़ा लिखा कर सरकारी अफसर बनाने का प्रयास कर रही है। सूरज इस समय कक्षा 5 का छात्र है। मां सुरेखा केवल कक्षा 5 तक ही पढ़ सकी थी, लेकिन अपने बेटे को प्रतिदिन अपने साथ पढ़ाने जरूर बैठती है। 

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गांव वाले सुरेखा (Surekha) को काफी इज्जत देते हैं। इसी मान-सम्मान के बदले ही यह पूर्व दस्यु सुंदरी गांव वालों और अपने बेटे के लिए कुछ करना चाहती है। वह इसके लिए गांव के प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ना चाहती है। इसमें गांव वाले भी पूरी तरह से सुरेखा के साथ हैं।