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Union Budget 2019: बदल गई दशकों पुरानी परंपरा, अब बजट नहीं संसद में पेश होगा ‘बही खाता’

बही खाता लेकर संसद पहुंची वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

Union Budget 2019: मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट आज पेश हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहली बार अपना बजट पेश किया। इस दौरान एक पुरानी परंपरा आज टूट गई। दरअसल, बजट के अनुमोदन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचीं। आज तक की परंपरा रही है कि वित्त मंत्री लेदर का ब्रीफकेस लेकर बजट पेश करने संसद पहुंचते थे। इस बार ये परंपरा तोड़ते हुए वह बजट ब्रीफकेस की बजाय लाल रंग के मखमली कपड़े में बंधा बही खाता लेकर पहुंचीं।

अब तक का इतिहास यही रहा है कि बजट पेश करने जाते वक्त वित्त मंत्रियों के हाथ में ब्राउन कलर की अटैची ही दिखती थी। लेकिन इस बार जब वित्त मंत्री राष्ट्रपति से मिलने के लिए रवाना हुईं तो उनके हाथ में बजट गहरे लाल रंग के मखमली कपड़े में बजट दिखा। इसे एक नए बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि भारत में बही खाता को भी लाल रंग के कपड़े में बांध कर रखने की परंपरा रही है। यहां तक कि सरकारी दफ्तरों में भी दस्तावेजों को लाल कपड़े में बांध रखा जाता रहा है।

मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट की बड़ी बातें

मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने बताया कि यह भारतीय परंपरा है। यह पश्चिमी विचारों की गुलामी से हमारे मुक्त होने का संकेत है। यह बजट नहीं है, यह बही खाता है। असल में, ब्राउन कलर की इस अटैची का बजट से बड़ा पुराना नाता है। यह परंपरा 1860 से बनी हुई है। बजट फ्रांसीसी शब्द ‘बॉगेटी’ से बना है, जिसका मतलब लेदर बैग होता है। पहली बार 1860 में ब्रिटेन के ‘चांसलर ऑफ दी एक्सयचेकर चीफ’ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंशियल पेपर्स के बंडल को लेदर बैग में लेकर आए थे। ब्रिटेन की महारानी ने बजट पेश करने के लिए लेदर का यह सूटकेस खुद ग्लैगडस्टमन को दिया था। तभी से यह परंपरा निकल पड़ी, वहीं से भारत में यह परंपरा आई है। संसद में बजट वाले दिन थैला या ब्रीफकेस लाने की परंपरा भी अंग्रेजों की ही देन है। बजट वाले दिन वित्त मंत्री चमड़े के एक बैग या ब्रीफकेस के साथ संसद पहुंचते हैं, जिसमें देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा होता है।

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