साल 1998 के चुनावों में BJP ने ‘एक मत, दो राज्य’ का नारा देकर अलग तेलंगाना (Telangana) राज्य की मांग का समर्थन किया। साल 2001 में के चंद्रशेखर राव (K Chandrashekar Rao) ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की स्थापना की।
आज यानी 2 जून को तेलंगाना (Telangana) का गठन हुआ था। तेलंगाना को अलग राज्य बनाने के लिए लंबे समय से मांग हो रही थी। दरअसल, 1 नवंबर, 1956 को राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाया गया। तब के हैदराबाद प्रांत को भाषा के आधार पर आंध्रप्रदेश में मर्ज कर दिया गया था। पर यह हिस्सा राज्य के अन्य हिस्से से आर्थिक, शैक्षणिक एवं अन्य सभी स्तरों पर पिछड़ा था।
इस हिस्से की अनदेखी हुई तो कुछ ही समय बाद तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की मांग उठने लगी। इसके लिए पहला बड़ा आंदोलन 1969 में हुआ। इसके बाद से साल 2013 तक इसके लिए लागातर छोटे-बड़े आंदोलन चलते रहे।
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1969 में तेलंगाना (Telangana) को अलग राज्य बनाने की मांग के अलावा 1972 और 2009 में भी बड़े आंदोलन हुए। 1969 में तो ‘जय तेलंगाना’ आंदोलन हिंसक हो उठा था और करीब 300 लोगों की मौत हो गई थी। तब तो वह जैसे-तैसे शांत हो गया, पर समाधान नहीं निकल सका था।
साल 1998 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने ‘एक मत, दो राज्य’ का नारा देकर अलग तेलंगाना राज्य की मांग का समर्थन किया। साल 2001 में के चंद्रशेखर राव (K Chandrashekar Rao) ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की स्थापना की। अलग राज्य के लिए यह पार्टी सबसे मुखर थी। 2009 के लोकसभा चुनावों तक तेलंगाना को लेकर राजनीतिक सक्रियता बढ़ गई थी।
भाजपा ने घोषणा कर दी थी कि अगर वह सत्ता में आएगी तो तेलंगाना (Telangana) को अलग राज्य बनाएगी। सितंबर, 2009 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी का हेलिकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया। इससे वहां राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना। 29 नवंबर को के सी आर ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ स्टूडेंट्स, कर्मचारी और सामाजिक संगठन भी इस आंदोलन से जुड़ गए। तब 11 दिन बाद केंद्र सरकार ने तेलंगाना के लिए प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन देकर के सी आर की भूख हड़ताल खत्म करवाई।
इसके बाद फरवरी, 2010 में केंद्र सरकार ने जस्टिस श्रीकृष्ण के नेतृत्व में 5 सदस्यों की एक कमिटी बनाई। दिसंबर, 2010 में कमिटी ने रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इस दौरान तेलंगाना (Telangana) को लेकर प्रदर्शन होते रहे। साल 2014 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार ने 3 अक्टूबर, 2013 को तेलंगाना के गठन को मंजूरी दे दी।
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2014 में लोकसभा के चुनावों के साथ ही तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के लिए अलग-अलग चुनाव हुए। आखिरकार, 2 जून को 50 साल से अधिक समय तक चले आंदोलनों के बाद नए राज्य का गठन हुआ और के चंद्रशेखर राव राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। अब, हैदराबाद और तेलंगाना में हैदराबाद को लेकर खींचतान शुरू हो गई। जिसके बाद केंद्र ने जस्टिस श्रीकृष्ण समिति की सिफारिश पर 10 साल के लिए हैदराबाद को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी घोषित किया।