महान लेखक बालकृष्ण भट्ट (Balkrishna Bhatt) हिंदी क्षेत्र में नवजागरण का काम करने वाले एक प्रमुख पत्रकार और चिंतक थे । इन्होंने ‘हिंदी प्रदीप का लगातार 32 वर्षों तक संपादन। बालकृष्ण (Balkrishna Bhatt) भारतेंदु से उम्र में बड़े होकर भी शिक्षा, साहित्य-कर्म और पत्रकारिता में देर से कदम रखा। इन्होंने स्त्री-शिक्षा के लिए काम किया और जब अध्यापिकाएँ नहीं मिलती थीं, अपने घर की गृहिणियों को इस कार्य के लिए उत्साहित किया। ‘कालिदास की सभा’, ‘बाल-विवाह’ आदि नाटकों के अलावा ‘नूतन ब्रह्मचारी’, ‘सौ अजान एक सुजान’ उपन्यासों की रचना करने वाले भारतेंदु मंडल के प्रमुख लेखक थे बालकृष्ण भट्ट।
आधुनिक हिन्दी साहित्य के शीर्ष निर्माताओं में गिने जाने वाले बालकृष्ण भट्ट (Balkrishna Bhatt) का जन्म 3 जून, 1848 ई. को इलाहाबाद में हुआ था। स्कूली शिक्षा को अधिक दिन नहीं चली। किन्तु स्वाध्याय से उन्होंने संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, बंगला, फारसी आदि भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।
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भारतेन्दु युग के लेखकों में आपकी गणना प्रमुख रूप से होती है। पत्रकारिता के क्षेत्र में बालकृष्ण भट्ट (Balkrishna Bhatt) का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने इलाहाबाद से ‘हिन्दी प्रदीप’ नाम का मासिक पत्र निकाला और 33 वर्ष तक उसका संपादन और संचालन करते रहे।
यह अपने समय का बड़ा महत्त्वपूर्ण पत्र माना जाता था और इसका प्रकाशन हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम था। इस पत्र ने अनेक बाधाओं का सामना करते हुए विदेशी सरकार की नीतियों, असामाजिक तत्वों, सामाजिक कुरीतियों, अज्ञानता पूरी शक्ति से सामना किया।
बालकृष्ण भट्ट (Balkrishna Bhatt) ने निबंध, उपन्यास और नाटकों की रचना करके हिन्दी को एक समर्थ शैली दी। उनके पांच निबंध संग्रहों में ‘साहित्य सुमन’ और ‘भट्ट निबंध माला’ के चार भाग सम्मिलित हैं। आपने आठ उपन्यास और उन्नीस नाटक लिखे। उपन्यासों में ‘रहस्य कथा’, ‘गुप्त बैरी’, ‘सौ अजान एक सुजान’, ‘नूतन ब्रह्मचारी’ आदि उल्लेखनीय हैं। प्रमुख नाटक है-“भारतवर्ष और कलि’, ‘इंग्लैंडेश्वरी और भारत जननी’, ‘नई रोशनी का विष’, ‘पहला’, ‘सीता वनवास’ आदि। बालकृष्ण भट्ट हिन्दी के पहले निबंधकार हैं, जिन्होंने आत्मपरक शैली का प्रयोग किया। 20 जुलाई, 1914 को इलाहाबाद में भट्ट जी का देहांत हो गया।