Foundation Day OF Red Fort: लाला किला देश की राजधानी में लाल पत्थर से बनी हुई ये इमारत, आज भी पूरी दुनिया में अपनी शान और शोहरत के लिए मशहूर है। दुनिया भर से लाखों सैलानी हर साल इसे देखने आते हैं। इस किले की अहमियत इतनी है कि हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर देश के प्रधानमंत्री इसकी प्राचीर से देश को संबोधित करते हैं। 15 अगस्त, 1947 को जब मुल्क आज़ाद हुआ था उस वक़्त पंडित जवाहर लाल नेहरु ने यहीं से तिरंगा फहराया था। उसके बाद से आज तक प्रति वर्ष 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री यहीं से तिरंगा फहराते हैं। लाल किले का निर्माण मुग़ल बादशाह शाहजहां ने करवाया था। इसके निर्माण में लगभग दस वर्ष का समय लगा था।
दरअसल, 1638 में बादशाह शाहजहां ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली शिफ्ट करने की सोची। इसलिए उन्होंने यहां लाल किले का निर्माण कराने का निर्णय लिया। किले का निर्माण 1648 में पूरा हुआ था। इसे ‘लाल किला’ नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह लाल पत्थर से बना हुआ है। इसके अंदर दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास, रंग महल, खास महल, हमाम, नौबतखाना, हीरा महल और शाही बुर्ज यादगार इमारतें हैं। यहां के बाग और महल की खूबसूरती लोगों का मन मोह लेती है। यहां ख़ूबसूरती के साथ-साथ भारत की विभिन्न संस्कृतियों की झलक भी देखने को मिलती है। इस किले का डिजाइन वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने किया था। उस्ताद अहमद लाहौरी ने ही ताजमहल को भी डिजाइन किया था।
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लाल किला हिन्दुस्तान के बादशाह का निवास स्थान था। यहीं से बादशाह मुल्क के मुस्तकबिल का फैसला करते थे। यह देश का राजनीतिक केंद्र था। बादशाह के साथ उनका मंत्रिमंडल भी यहीं रहता था। ‘दीवान-ए-ख़ास’ में बादशाह बैठकर तमाम तरह की मीटिंग करते थे, ख़ुफ़िया योजनाएं बनाते थे। ‘दीवान ए आम’ आम नागरिकों के लिए हमेशा खुला रहता था। बताया जाता है कि बादशाह के दौर में किले को दुल्हन की तरह सजा कर रखा जाता था। बादशाह शाहजहां के बाद औरंगज़ेब से लेकर बहादुर शाह जफर तक कई मुग़ल शासकों का यह निवास स्थान रहा। लगभग दो सौ साल तक यह मुगल साम्राज्य का केंद्र रहा था। इस किले में दो गेट हैं। एक लाहौरी गेट और दूसरा दिल्ली गेट।
लाहौरी गेट किले का मुख्य गेट है। दूसरा गेट दिल्ली गेट है जो सार्वजनिक प्रवेश द्वार है। सबसे पहले लाल किले को साल 1747 में नादिर शाह ने लूटा। उसके बाद 1857 की क्रांति में यह किला अंग्रेज़ों की भेंट चढ़ गया। 1857 के विद्रोह में इस किले को अंग्रेज़ों ने लूट कर खोखला कर दिया। यहीं से भारत की शान कोहिनूर को अंग्रेज लेकर लंदन गए थे। जो आज लंदन के म्यूज़ियम में शोभा का केंद्र है। 1857 के विद्रोह के बाद अंतिम मुग़ल शासक बहादुर शाह जफर को अंग्रेज़ों ने बंदी बना लिया और उन्हें रंगून भेज दिया गया। इस किले पर कब्जा कर अंग्रेजों ने इसे अपना निवास स्थान बनाया। अंग्रेजों ने किले में खूब लूट-पाट की। यहां मौजूद चांदी, सोना, हीरा सबकुछ लूटकर ब्रिटेन भेज दिया।
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किले को पूरी तरह से छतिग्रस्त कर दिया गया। यह कहा जाता है कि लगभग दो तिहाई हिस्सा अंग्रेजों ने तहस-नहस कर दिया था। सिर्फ़ किले की मनमोहक दीवारें ही बची थीं। बाद में अंग्रेजों ने किले की थोड़ी मरम्मत भी कराई। स्वतंत्रता आंदोलन में संघर्ष कर रहे सेनानियों को लाल किले में बंदी बनाकर रखा जाता था। यहां अदालतें भी चलती थीं। स्वतंत्रता हासिल करने के बाद इस किले को भारतीय सेना के हवाले कर दिया गया था। यहां पर सेना का कार्यालय हुआ करता था। 22 दिसम्बर, 2003 को सेना ने अपना कार्यालय हटाकर पर्यटन विभाग को दे दिया। 2007 में इस किले के महत्व एवं इसके ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखते हुए इसे ‘वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ घोषित किया गया। यह हमारी मुख्य ऐतिहासिक धरोहर है। आज भी लाल किला को देखने के लिए देश एवं दुनिया भर से लोग आते हैं।
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