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नहीं रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद के दिग्गज नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह, दिल्ली AIIMS में ली अंतिम सांसें

फाइल फोटो।

डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) और लालू प्रसाद के बहुत ही करीबी कहे जाते थे। दोनों की दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं। अपने करीबी दोस्त के निधन से लालू प्रसाद भी काफी दुखी हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के दिग्गज नेता रहे डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) का आज (13 सितंबर) निधन हो गया। वे 74 साल के थे। राष्ट्रीय जनता दल (RJD)  के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के करीबी रहे इस दिगग्ज नेता ने दिल्ली AIIMS में अंतिम सांसें ली। डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह की तबियत बिगड़ने पर पिछले दिनों दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत काफी नाजुक बनी हुई थी। बताया जा रहा है कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ थी।

12 सितंबर को उनके परिवार वालों ने बताया था कि उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) कोरोना (Coronavirus) से भी संक्रमित थे। इससे पहले उन्हें पटना के एम्स में भर्ती कराया गया था, हालत कुछ ठीक होने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में लाया गया। जहां उनकी हालत और भी बिगड़ती चली गई। 13 सितंबर को उनकी मृत्यु हो गई।

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डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह और लालू प्रसाद के बहुत ही करीबी कहे जाते थे। दोनों की दोस्ती की मिसालें दी जाती थीं। अपने करीबी दोस्त के निधन से लालू प्रसाद भी काफी दुखी हैं। डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) की मृत्यु से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है।

इस दुखद खबर के बाद आरजेडी नेता मनोज झा ने शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि रघुवंश प्रसाद सिंह हम सबको अकेले छोड़ कर चले गए हैं। लालू प्रसाद यादव भी उनको लेकर काफी चिंतित थे। मैं बता नहीं सकता कि इस खबर को सुनकर लालू जी पर क्या बीत रही होगी। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है।

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हाल ही में डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) ने आरजेडी के उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया था। कहा जा रहा था कि पार्टी के नेता कुछ कारणों से नाराज चल रहे थे। रघुवंश प्रसाद सिंह साल 1977 से लगातार सियासत में रहे। वे लालू प्रसाद यादव के करीबी और उनके संकटमोचक माने जाते थे। पार्टी में उन्‍हें दूसरा लालू भी माना जाता था। वे लगातार चार बार वैशाली से सांसद रहे। यूपीए की सरकार में मंत्री भी रहे। विपक्ष में रहते हुए वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को घेरने में सबसे आगे रहा करते थे।