देशद्रोह के मामले में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को फांसी की सजा सुनाई गई है। उन पर आपातकाल लगाने का आरोप था। आपको बता दें कि मार्च 2016 से मुशर्रफ इलाज कराने के लिए दुबंई में रह रहे है और तभी से वह इस मामले में भगोड़ा घोषित कर दिया गया था।
इलामाबाद की विशेष अदालत ने परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को यह सजा सुनाई है। आपको बता दें कि मुशर्रफ ने नवंबर 2009 में पाकिस्तान में आपातकाल लगाया था। इसके बाद नवाज शरीफ की सरकार ने 2013 में मुशर्रफ के खिलाफ केस दर्ज किया था। परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) मार्च, 2016 से दुबई में रह रहे हैं। वह संविधान को भंग करने और 2007 में आपात शासन लगाने के मामले में राजद्रोह के आरोपों का सामना कर रहे हैं। 76 वर्षीय मुशर्रफ इलाज के लिए दुबई गए थे। लेकिन तब से सुरक्षा और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर लौटे नहीं।
परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) के वकीलों ने 14 दिसंबर को याचिका दायर की थी, जिसमें लाहौर हाईकोर्ट से कहा था कि विशेष अदालत में सुनवाई पर तब तक रोक लगाई जाए, जब तक कि हाईकोर्ट पहले से लंबित याचिका पर फैसला न दे दे। मुशर्रफ की याचिका पर अदालत ने संघीय सरकार को नोटिस जारी किया था। अदालत ने इस याचिका पर भी मुख्य याचिका के साथ ही सुनवाई का फैसला किया था।
दरअसल, विशेष अदालत इस केस में 28 नवंबर को ही फैसला सुनाने वाली थी लेकिन परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) और पाकिस्तान सरकार की याचिकाओं पर इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत को फैसला देने से रोक दिया था। यही नहीं विशेष अदालत ने इस केस की सुनवाई 5 दिसंबर को करने की बात कही थी। साथ ही साथ विशेष अदालत ने पूर्व पाकिस्तानी तानाशाह को निर्देश दिया था कि वह 5 दिसंबर तक मौजूद होकर अपना बयान दर्ज कराएं। लेकिन मुशर्रफ ने दुबई के अमेरिकन हास्पिटल से अपने एक वीडियो संदेश जारी कर अपनी तबियत खराब होने की बात कही थी।
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