संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र (UNGA) में अपने भाषण से पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने एकबार फिर कश्मीर पर रोना रोया है। अपने संबोधन से पहले उन्होंने कहा कि वह सिर्फ जम्मू-कश्मीर का मसला उठाने के लिए ही यहां पर आए हैं। लेकिन साथ ही इमरान ने हथियार डाल दिए हैं और कहा कि वह जानते हैं इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है। न्यूयॉर्क टाइम्स के एडिटर्स से बात करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मुझे पता है कि संयुक्त राष्ट्र में मेरे जम्मू-कश्मीर पर भाषण से कुछ बड़ा असर नहीं होगा, खासकर आने वाले दिनों में, लेकिन वह चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर का मसला दुनिया सुने।’
इमरान ने ह्यूमन राइट वॉच (Human Right Watch) के प्रमुख केनेथ रोथ से भी बातचीत की। इस दौरान इमरान खान ने जम्मू कश्मीर में एकबार कर्फ्यू हटने के बाद हिंसा होने की आशंका जताई। इमरान ने रोथ को बताया कि लगभग 15,000 कश्मीरी युवाओं को कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों ने हिरासत में लिया था। इमरान खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कश्मीर में मानवाधिकार को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं और आरोप भी लगाया है। इमरान ने आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर में सबसे खराब मानवीय त्रासदी की आशंका है क्योंकि भारत इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का आह्वान किया कि वे भारत पर दबाव बनाने के लिए विदेशी पर्यवेक्षकों को भारतीय जम्मू और कश्मीर में स्थिति की निगरानी करने की अनुमति दें।
वॉल स्ट्रीट जर्नल के संपादकीय बोर्ड के साथ एक अलग बैठक में इमरान खान ने कहा कि नस्लवाद, अक्सर अहंकार में निहित होता है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों को भारी भूल हो सकती है। इमरान खान ने साथ ही कहा कि वह यूएन में कश्मीर को लेकर मदद मांगेंगे। इमरान ने कहा है कि अगर यूएन इस बात को नहीं समझेगा तो और कौन समझेगा, फिर कौन इस बारे में बोलेगा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी के भाषण के बाद ही इमरान खान का संबोधन है, अगर इमरान कश्मीर का मुद्दा उठाते हैं और भारत पर आरोप लगाते हैं तो भारत की ओर से प्रतिनिधि आरोपों का जवाब देंगे।