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दिल्ली गैंग रेप पीड़िता के माता-पिता ने की अपील, ‘न्याय दिवस’ के रूप में मनाया जाए 20 मार्च

दिल्ली गैंगरेप 2012 (Delhi Gangrape 2012) की मृतक पीड़िता और उसके परिजनों को आखिरकार 7 साल तीन महीने और तीन दिन बाद इंसाफ मिल ही गया। पीड़िता के चारों दोषियों को न्यायालय द्वारा मुकर्रर 5.30 बजे ही तिहाड़ जेल में फांसी पर लटकाया गया। चारों दोषियों को फांसी मिलने के बाद मृतक पीड़िता की मां ने भावुक होकर गया कि इतने लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार हमे न्याय मिल गया। यह दिन देश की हर बेटी के लिए समर्पित है। मैं सरकार और देश की न्यायपालिका को इसके लिए धन्यवाद कहती हूं।

दिल्ली गैंगरेप (Delhi Gangrape 2012) मृतक पीड़िता की मां चारों दोषियों को फांसी पर लटकाये जाने की खबर पाने के बाद रोने लगीं। पीड़िता की मां ने अपनी मृतक बेटी की तस्वीर को सीने से लगाकर कहा कि आज तुम्हे इंसाफ मिल गया। इंसाफ का ये सफर काफी मुश्किल और लंबा था लेकिन अंतत: न्याय की जीत हुई।

हमने उसकी मौत के बाद से ही इंसाफ की लड़ाई शुरू कर दी थी और अब ये सफर लगातार जारी रहेगा। हम देश की हर उस बेटी के लिए लड़ेंगे जिसे इन जैसे दरिंदों की वजह से तकलीफ झेलनी पड़ती है। हालांकि दोषियों के वकील ने कानून के सारे हथकंड़े अपनाकर चारों अपराधियों को बजाने की हर मुमकिन कोशिश की ।

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लेकिन इनके अपराध इतने घिनौने हैं कि न्याय के आंगन में इनके लिए फांसी से बेहतर कोई विकल्प नहीं मौजूद था। बृहस्पतिवार को पटियाला हाउस कोर्ट में फांसी की तारीख को टालने की याचिका जब खारिज हो गई तो दोषियों के वकील ने आज रात 2 बजे सुप्रीम कोर्ट में फांसी रोके जाने की याचिका दाखिल की थी।

लेकिन उच्चतम न्यायालय में भी इस याचिका को रद्द करके मृतक पीड़िता को इंसाफ का रास्ता साफ कर दिया। 3 घंटे पहले ही चारों दोषियों को नींद से जगा दिया गया। जेल मैन्यूअल के अनुसार दोषियों को पहनाये जाने वाले काले कपड़ों को तिहाड़ जेल के बैरक नंबर 3 में जल्लाद पवन ने रख दिया गया।

चारों दोषियों की फांसी होने पर दिल्ली गैंग रेप पीड़िता के पिता ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा, ‘न्याय के लिए हमारा इंतजार बेहद पीड़ादायी था। हम अपील करते हैं कि आज का दिन निर्भया ‘न्याय दिवस’ के तौर पर मनाया जाए।’
अवनीश मिश्र

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषियों की याचिका खारिज होने के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने अदालत से दोषियों को उनके परिजनों से अंतिम बार मिलने के लिए 5-10 मिनट का समय देने का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि इसे सॉलिसिटर जनरल देखेंगे। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जेन के नियम इसकी इजाजत नहीं देते हैं और यह दोनों पक्षों के लिए दुखद होगा।