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आर्मी, नेवी और एयरफोर्स ऑफिसरों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ेगी, मिलिट्री अफेयर्स डिपार्टमेंट कर रहा प्लान

मिलिट्री अफेयर्स डिपार्टमेंट (Military Affairs Department) को सीडीएस जनरल बिपिन रावत हेड करते हैं। साथ ही प्री-मैच्योर रिटायरमेंट लेने पर पेंशन काटने का भी प्रस्ताव है।

आर्मी, नेवी और एयरफोर्स ऑफिसरों की रिटायरमेंट एज बढ़ाने के प्रस्ताव पर मिलिट्री अफेयर्स (Military Affairs Department) डिपार्टमेंट काम कर रहा है। यह रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के तहत बना नया डिपार्टमेंट है। साथ ही प्री-मैच्योर रिटायरमेंट लेने पर पेंशन काटने का भी प्रस्ताव है। बता दें कि मिलिट्री अफेयर्स डिपार्टमेंट को सीडीएस जनरल बिपिन रावत हेड करते हैं। 

हालांकि, आर्म्ड फोर्सेस के अंदर इसे लेकर नाराजगी भी जताई जा रही है। नाराजगी इसलिए क्योंकि इसके लागू होने पर रिटायर होने वाले ऑफिसरों की पेंशन पर भी असर पड़ेगा। इस मामले पर कोर्ट जाने की भी तैयारी की जा रही है। मिलिट्री अफेयर्स डिपार्टमेंट (Military Affairs Department)  से 29 अक्टूबर को एक पत्र जारी किया गया है।

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इस पत्र में कहा गया है कि 10 नवंबर तक इस संदर्भ में ड्राफ्ट जीएसएल (गर्वनमेंट सेंक्शन लेटर) तैयार कर लिया जाए। इसे सीडीएस जनरल बिपिन रावत देखेंगे।

नए प्रस्ताव में आर्मी में कर्नल और नेवी तथा एयरफोर्स में इसके समकक्ष अधिकारियों की रिटायरमेंट एज 54 से बढ़ाकर 57 करने, ब्रिगेडियर और इनके समकक्ष अधिकारियों की रिटायरमेंट ऐज 56 से बढ़ाकर 58 साल करने और मेजर जनरल एवं समकक्ष अधिकारियों की रिटायरमेंट एज 58 साल से बढ़ाकर 59 साल करने का प्रस्ताव है।

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लेफ्टिनेंट जनरल और इससे ऊपर कोई बदलाव नहीं होगा। साथ ही जूनियर कमिशंड ऑफिसर्स और सैनिक और नेवी-एयरफोर्स में इनके समकक्ष जो लॉजिस्टिक्स, टेक्निकल और मेडिकल ब्रांच में हैं, उनकी रिटायरमेंट ऐज 57 साल करने का प्रस्ताव है। बता दें कि जिस प्रस्ताव को लेकर विवाद हो रहा है, वह है पेंशन में कटौती का प्रस्ताव।

प्रस्ताव में प्री-मैच्योर रिटायरमेंट लेने वाले अधिकारियों की पेंशन को अलग-अलग हिस्से में बांटा गया है। इसमें कहा गया है कि 20 से 25 साल की सर्विस में 50 पर्सेंट पेंशन, 26 से 30 साल की सर्विस में 60 पर्सेंट, 31 से 35 साल की सर्विस में 75 पर्सेंट और 35 साल से ज्यादा की सर्विस में पूरी पेंशन दी जाएगी।

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पत्र में कहा गया है कि सीनियर पोजिशन में कम वेकेंसी होने की वजह से कई अधिकारी बोर्डआउट हो जाते हैं। वहीं कई स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट, जो हाई स्किल जॉब के लिए ट्रेंड होते हैं, वो दूसरे सेक्टर में काम करने के लिए नौकरी छोड़ देते हैं। इससे हाई स्किल्ड मैनपावर का नुकसान होता है और यह आर्म्ड फोर्स के लिए काउंटर प्रॉडक्टिव है।