जम्मू कश्मीर में जारी कोरोना कहर के बीच आगामी 5 और 15 अगस्त का समय सुरक्षा एजेंसियों के लिए और भी चुनौतियों भरा हो गया है। सूत्रों का कहना है कि घाटी में लगातार घातक हथियारों के जखीरे मिल रहे हैं, उससे साफ पता चला है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) अपनी साजिशों को किस कदर अमल में लाने के लिए सरहद पार से घातक हथियार आतंकियों (Militants) को भेज रही है।
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खुफिया एजेंसियों को लगातार इनपुट्स मिल रहे हैं कि घाटी में मौजूद आतंकी कमांडर पाकिस्तान में बैठे आतंकी हैंडलरों के संपर्क में हैं, जो उनसे लगातार हिदायतें ले रहे हैं। पिछले साल 5 अगस्त को विशेष दर्जे वाले जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 व 35A को खत्म करने के साथ-साथ इस सूबे को संघ शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित किया गया, जिसे लेकर न केवल कश्मीरी आतंकी, बल्कि सरहद पार बैठे आतंकी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) बुरी तरह बौखलाई है। पिछले कुछ दिनों से सरहद पार जहां आतंकियों (Militants) का जमावड़ा व उनकी गतिविधियां बढ़ी हैं, वहीं पाक सेना के अधिकारियों को बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) के साथ पाकिस्तानी सेना प्रमुख की भी सक्रियता देखी गई है।
हाल ही में अपने पाक सैन्य कमांडरों की रावलपिंडी स्थित सैन्य मुख्यालय पर अहम बैठक हुई। जिसमें कश्मीर मुद्दे को लेकर बड़ी चर्चा हुई। वहीं आर्टिकल 370 व 35A खत्म किए जाने तथा संघ शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित किए जाने के आगामी 5 अगस्त को एक साल पूरा होने के अवसर पर जम्मू कश्मीर व शेष भारत में गड़बड़ियां फैलाने को लेकर भी साजिश रची गई। आगामी 5 से 15 अगस्त का समय सुरक्षाबलों के लिए बेहद सतर्क रहने का है।
आतंकियों (Militants) के निशाने पर सैन्य अधिकारी और राजनेता
सैन्य सूत्रों के मुताबिक उन्हें जिस प्रकार के इस वक्त इनपुट्स मिल रहे हैं, उसके मद्देनजर न केवल नियंत्रण रेखा, बल्कि भारत पाक सीमा के साथ-साथ घाटी के आतंकग्रस्त इलाकों पर भी पहले से ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। आतंकी (Militants) घाटी में मौजूद राजनीतिक लोगों के अलावा सुरक्षाबलों के अधिकारियों व सेना के ठिकानों को निशाना बना सकते हैं। 5 अगस्त के आने से पहले घाटी में एक बार फिर पुरजोर तरीके से जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य दर्जा बहाली की मांग न केवल घाटी आधारित, बल्कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस कर रही है, साथ ही नवगठित जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के अलावा घाटी से बीजेपी के कद्दावर नेता शौफी यूसुफ भी इसकी मांग कर रहे हैं।