बस हादसे (Sidhi Bus Accident) में जिंदा बच गए लोगों के लिए यह किसी चमत्कार जैसा है। इस बड़े हादसे में छह लोगों की जान बची है।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीधी बस हादसे (Sidhi Bus Accident) में मरने वालों की संख्या 51 हो चुकी है। 16 फरवरी की रात तक 47 शव मिले थे। वहीं, 17 फरवरी को 4 शव और मिले हैं, जिनमें 5 महीने की बच्ची का शव भी शामिल है जो रीवा में मिला है। 3 लापता लोगों की तलाश जारी है।
इस बीच, आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घटनास्थल पहुंचेंगे। वे पीड़ित परिवारों से भी मिलेंगे। ASP अंजूलता पटले के मुताबिक, बस में कुल 63 यात्री सवार थे। इनमें से तीन यात्री हादसे से पहले ही बस से उतर गए थे। वहीं, 60 यात्रियों में छह की जान बचाई जा चुकी है। इस बीच बस के ड्राइवर 28 साल के बालेंद्र विश्वकर्मा को पुलिस ने 16 फरवरी की देर रात गिरफ्तार कर लिया। वह रीवा के सिमरिया का रहने वाला है।
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ड्राइवर ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसका एक ड्राइविंग लाइसेंस हादसे में बह गया जबकि दूसरा लाइसेंस रीवा में है, वही गाड़ी के दस्तावेज सतना में है। इसके बाद बालेंद्र के ड्राइविंग लाइसेंस और बस के डॉक्यूमेंट्स के लिए दो टीमें रीवा और सतना भेजी गई हैं।
बस हादसे (Sidhi Bus Accident) में जिंदा बच गए लोगों के लिए यह किसी चमत्कार जैसा है। इस बड़े हादसे में छह लोगों की जान बची है। इसमें तीन पुरुष और तीन महिलाएं शामिल हैं। इस दौरान शिवरानी और उसके परिजन ने इन 6 लोगों को बचाने में की हिम्मत दिखाई। इस दुर्घटना में स्वर्णलता प्रभा (24), विभा प्रजापति (21), अर्चना जायसवाल (23), सुरेश गुप्ता (60), ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी (50) और अनिल तिवारी (40) की जान बच गई है। इनमें से अधिकतर लोग 200 से 500 मीटर तक बह गए थे।
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ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी ने बताया कि वे बस में सामने के कांच से आगे की ओर देख रहे थे। जैसे ही बस नहर में गिरने लगी तो उन्होंने खिड़की के कांच में पैर मारा और पानी में कूद गए। गनीमत यह रही कि वे बस के किसी हिस्से में नहीं फंसे। देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने ही बस धीरे-धीरे डूब गई। वे नहर का किनारा पकड़कर तैरने लगे। तभी एक सीढ़ी मिली, जिसे पकड़कर ऊपर आ गए।
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वहीं, अनिल तिवारी ने बताया, “जैसे ही बस नहर में डूबने लगी, बस की बंद खिड़की को जोर से हाथ मारा, जिससे कांच टूट गया। मुझे तैरना आता था। बगल में बैठे सुरेश गुप्ता को बचाने की कोशिश की और उनका हाथ पकड़कर खिड़की से बाहर खींच लिया।” सुरेश गुप्ता 62 वर्ष के हैं, तैरना भी कम जानते थे, लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नहर का किनारा पकड़ लिया। करीब 300 मीटर दूर जाकर एक पत्थर मिला, जिसके सहारे दोनों अपनी जान बचा पाए।