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जमशेद जी जीजाभाई जयंती विशेष: अपनी दानवीरता के लिए महारानी विक्टोरिया से सम्मानित होनेवाले पहले भारतीय

Jamsetjee Jejeebhoy Birth Anniversary II जमशेद जी जीजाभाई जयंती

भारतीय इतिहास के सबसे बड़े दानवीर और कारोबारी सर सर जमशेद जी जीजाभाई (Jamsetjee Jejeebhoy)  का जन्म 15 जुलाई, 1883 ई. को एक गरीब पारसी परिवार में मुंबई में हुआ था। इनके पिता का नाम मेरवानजी मैकजी जीजाभाई और माता का  नाम जीवीबाई कावाजी जीजाभाई था।  जीजाभाई के पिता ओलपाड (गुजरात) के छोटे-मोटे कपड़ा व्यापारी थे, जो 1770 के दशक में बंबई चले आए। सन 1799 में उनके माता-पिता का साया उनके सर से उठ गया। ऐसे में उनका पालन-पोषण मामा ने किया। आर्थिक तंगी के कारण वे शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके। 12 वर्ष की छोटी उम्र में अपने मामा के साथ पुरानी बोतलें बेचने के धंधे में लग गए थे कुछ दिन बाद ममेरी बहन से उनका विवाह भी हो गया। 1799 में माता-पिता का देहांत हो जाने से परिवार का पूरा भार जीजाबाई के ऊपर आ गया।

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जीजाभाई (Jamsetjee Jejeebhoy) में बड़ी व्यवसाय-बुद्धि थी। व्यवहार से उन्होंने साधारण हिसाब रखना और कामचलाऊ अंग्रेज़ी सीख ली थी। उन्होंने अपने व्यापार का भारत के बाहर विस्तार किया। भाड़े के जहाजों में चीन के साथ वस्तुओं का क्रय-विक्रय करने लगे। वो जब 20 वर्ष के थे तभी उन्होंने पहली चीन यात्रा की। कुल मिलाकर वे पांच बार चीन गए। कभी  ये यात्राएं खतरनाक भी सिद्ध हुई। एक बार पुर्तगालियों ने इनका जहाज़ पकड़कर लूट लिया और इन्हें केप ऑफ गुडहोप के पास छोड़ दिया था। किसी तरह मुंबई आकर इन्होंने फिर अपने को संभाला और 1814 में अपना जहाज़ खरीदने के बाद जहाजी बेड़ा बढ़ाने और निरंतर उन्नति की दिशा में बढ़ते गए। उन्हें बॉम्बे का सबसे योग्य पुत्र भी कहा जाता है।

महारानी से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं जमशेदजी जीजाभाई (Jamsetjee Jejeebhoy)

जमशेदजी जीजाभाई (Jamsetjee Jejeebhoy)  का सबसे अधिक नाम उनकी दानशीलता के कारण है। दुर्भिक्ष सहायता, कुओं और बांधों का निर्माण सड़कों और पुलों का निर्माण, औषधालय स्थापना, शिक्षा-संस्थाएं, पशु-शालाएं, अनाथालय आदि सभी के लिए उन्होंने धन दिया। उनकी आर्थिक सहायता से स्थापित संस्थाओं में प्रमुख हैं – जे. जे. अस्पताल, जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट, पूना बांध और जल संस्थान। उनसे ‘मुंबई समाचार’ और ‘मुंबई टाइम्स’ (अब का ‘टाइम्स ऑफ इंडिया) जैसे पत्रों को भी सहायता मिली। अनुमानतः उस समय उन्होंने 30 लाख रुपये से अधिक का दान दिया था। महारानी विक्टोरिया द्वारा सम्मानित होनेवाले आप प्रथम भारतीय थे। सांप्रदायिक भेदभाव से दूर रहनेवाले जीजाभाई (Jamsetjee Jejeebhoy)  ने महिलाओं की स्थिति सुधारने तथा पारसी समाज की बुराइयां दूर करने के लिए भी अनेक कदम उठाए। 14 अप्रैल 1959 को उनकी मृत्यु हो गई।