फ्रांस में वैज्ञानिक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे उत्तर प्रदेश के मेरठ और बागपत के रहने वाले और आईआईटी मुंबई व आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों ने नागरिकता संसोधन कानून (CAA) के संदर्भ में लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया है।
मेरठ के गांव परतापुर निवासी डॉ. राजकुमार एवं बागपत के गांव मितली गौरीपुर के डॉ. प्रवीण कुमार ने यूनाइटेड नेशंस के जेनेवा स्थित मुख्यालय के सामने भारत की संसद द्वारा पारित नागरिकता संसोधन कानून 2019 के पक्ष में मार्च का आयोजन किया। इसमें बड़ी संख्या में लोगों को CAA को लेकर जागरूक किया गया। साथ ही इस मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन भी किया गया। उन्होंने बताया की CAA के अंतर्गत 31 दिसम्बर 2014 तक भारत में वैधानिक रूप से प्रवेश कर चुके शरणार्थियों जिनकी संख्या 31313 (इंटेलीजेंस ब्यूरो के आकड़ों के अनुसार) है और जो पड़ोसी देशों (पाकिस्तान‚ अफगानिस्तान और बांग्लादेश) में अल्पसंख्यक होने की कारण पीढ़ियों से धार्मिक उत्पीड़न और शारीरिक यातनाओं को झेलते आ रहे हैं उन लोगों का जीवन संवारने का भारत सरकार का यह एक सराहनीय प्रयास है। हम इस कानून का पुरजोर तरीके से समर्थन करते हैं और इसलिए हमने यूनाइटेड नेशंस के जेनेवा स्थित मुख्यालय के सामने इस मार्च का आयोजन किया।
राजकुमार और प्रवीण के मुताबिक CAA के संदर्भ में लोगों को जागरूक करना और तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार से अवगत कराना भारत के हरेक जिम्मेदार और शिक्षित नागरिकों का कर्तव्य है। CAA केवल वैधानिक शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का एक माध्यम है। यह कानून किसी भी भारतीय पर चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय से संबंधित हो लागू नहीं होता। जब यह कानून किसी भी भारतीय नागरिक पर लागू ही नहीं होता तो यह किसी प्रकार से असंवैधानिक नहीं है।
भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 समानता का अधिकार के उल्लंघन का तो कोई सवाल ही नहीं उठता। ये सिर्फ तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस कानून के संदर्भ में भ्रामक तथ्य प्रस्तुत करके लोगों को गुमराह किया जा रहा है। इससे समाज के विभिन वर्गों के बीच वैमनस्य फैल रहा है जो देश के आÌथक और सामाजिक विकास में बड़ी बाधा है।