लद्दाख वास्तविक में रेखा नियंत्रण (LaC) पर भारत और चीनी सेना (PLA Troops) के बीच हाल के दिनों में तनाव चरम पर पहुंच गया था। चीन ने सीमा तक अपने सैनिकों और हथियारों को पहुंचाने के लिए रेल और सड़क मार्ग का मजबूत नेटवर्क तैयार कर लिया है। ऐसे में सामरिक तौर पर चीन को जवाब देने और भारतीय सेना (Indian Army) को वहां तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने भी कमर कस ली है।
भारतीय रेल (Indian Railways) करेगा बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन का विस्तार
अगर अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा तक रेल ट्रैक बिछा रहा है तो भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने भी चीन सीमा तक दुनिया की सबसे ऊंची रेल लाइन बनाने का काम शुरू कर दिया है जो लेह तक जाएगी। सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही इस रेल लाइन परियोजना को बिलासपुर-मनाली-लेह के जरिए सीमा तक जोड़ा जाएगा। सबसे कम तापमान और कम ऑक्सीजन के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रों में बन रही 1500 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर शिवलिंग का काम पूरा हो गया है।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से लेह के बीच इस 475 किलोमीटर लंबी ब्रॉडगेज पर पटरी बिछाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। इस रेल लाइन पर पुल, स्टेशन और सुरंग में महत्वपूर्ण स्थानों पर 184 कंट्रोल प्वाइंट बनाए जाएंगे।
वैज्ञानिकों का खुलासा: कोरोना वायरस के इलाज में चमगादड़ की प्रतिरक्षा तंत्र का होगा इस्तेमाल
बता दें कि इस रेल लाइन पर 51 फीसदी सुरंगों का काम पूरा हो चुका है जबकि 110 पुलों को बनाने का काम जारी है। इस रूट पर 31 रेलवे स्टेशन होंगे और इसकी लागत 68 हजार करोड़ रुपये है। इस रेल लाइन के बन जाने के बाद चीन सीमा पर तैनात जवानों तक रसद और हथियार पहुंचाने में आसानी होगी क्योंकि यह लाइन चीन सीमा के पास तक जाएगी।
भारतीय रेल (Indian Railways) के इतिहास में इस रेल लाइन के निर्माण को सबसे मुश्किलों कामों में से एक माना जा रहा है। इस रेल लाइन पर सबसे लंबी सुरंग 13.5 किलोमीटर की होगी जबकि पहाड़ों में सुरंगों की कुल लंबाई 238 किलोमीटर होगी।