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समुद्र में चीनी घुसपैठ पर लगेगी लगाम, भारतीय नौसेना करेगी 6 परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती

हिंद-प्रशांत इलाके में चीन की लगातार बढ़ती आक्रामकता पर लगाम लगाने के लिए और समुद्र में चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने सरकार को छह परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के निर्माण की आवश्यकता से अवगत कराया है।

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इसी साल 4 मार्च को गुजरात के केवडिया में संयुक्त कमांडर कॉन्फ्रेंस के बाद, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने 3 मई को भारतीय नौसेना के ऑपरेशन समुद्र सेतु-II की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस जरूरत के बारे में बताया।

विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी नौसेना की ताकत का मुकाबला करने के लिए भारत तैयार है। उनका कहना है कि एसएसएन की इस योजना को भारतीय नौसेना (Indian Navy) द्वारा चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए एक ठोस कदम के रूप में भी देखा जाना चाहिए।

चीनी नौसेना की ताकत लगातार बढ़ती जा रही है। युद्धपोत जहाजों की संख्या के मामले में चीन ने अमेरिकी नौसेना को पछाड़ दिया है, हालांकि क्षमता और टन भार के मामले में अमेरिका अब भी चीन से काफी आगे है। पनडुब्बियों में वर्तमान में रूस से लीज पर लिया गया भारत के पास केवल एक अकुला क्लास एसएसएन है और एक 2025 से पहले लीज पर आने की उम्मीद है।

एसएसएन खाद्य आपूर्ति और अन्य लॉजिस्टिक्स के अलावा हथियारों और मिसाइलों के साथ लंबी दूरी की गश्त के लिए जरूरी है। अब तक, भारत के पास एक अकुला श्रेणी का एसएसएन है, जो रूस से लीज पर लिया गया है।

इस सप्ताह की शुरुआत में ही नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था और उन्हें भारतीय नौसेना (Indian Navy) द्वारा महामारी के दौरान देश के लोगों की सहायता करने के लिए की जा रही विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने सभी राज्य प्रशासनों तक पहुंचकर अस्पताल के बेड, परिवहन और टीकाकरण ड्राइव के संचालन और विभिन्न देशों से ऑक्सीजन कंटेनर और आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के लिए अपने जहाजों को तैनात करने में मदद की पेशकश की है।