भारतीय सेना (Indian Army) हर साल हमारे देश में 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन सन 1949 में जनरल के एम करियप्पा ने स्वतंत्र भारत की सेना की कमान संभाली थी। के एम करियप्पा ने ब्रिटिश जनरल सर रॉय बुचर से भारतीय सेना का कार्यभार लिया और 14 जनवरी 1953 तक कार्यरत रहे।
भारतीय सेना (Indian Army) दुनिया की अच्छी फौजों में गिनी जाती है। दुनिया के शक्तिशाली देशों की फौजौं के बीच हमारी सेना का स्वर्णिम इतिहास है। चाहे बाहरी आक्रमण हो अथवा घुसपैठ या फिर आंतरिक आपदा, सेना अपनी बहादुरी और चतुराई का रंग दिखाती रहती है। 1971 का पाकिस्तान के साथ युद्ध हो या फिर 2000 का कारगिल युद्ध, भारतीय सेना ने दुश्मनों को हर मोर्चे पर परास्त किया।
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चाहे गर्मी हो या सर्दी, दिन हो या रात, सियाचिन ग्लेशियर की उंचाई हो या फिर कोई भी जगह, रक्षा के लिए मुस्तैद भारतीय सेना (Indian Army) का एक ही मंत्र होता है, ‘मृत्यु तक युद्ध और अंत तक डटे रहना’। भारतीय सेना वीरता पूर्ण कार्यों के लिए सैनिकों को प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार और सम्मान से नवाजती है। देश का सबसे बड़ा सैनिक सम्मान ‘परमवीर चक्र’ है, जो अदम्य साहस और कर्तव्य-परायणता के लिए दिया जाता है। सर्वप्रथम मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया था, जो पाकिस्तानी आक्रमण से श्रीनगर की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे।
भारतीय सेना (Indian Army) का इतिहास और गौरव 15 जनवरी के अलावा 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की झांकियों में भी दिखाया जाता है। सेना दिवस सेना के प्रतिष्ठानों में मनाया जाता है और इस दौरान कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है। ताकि यह सेना को कर्तव्य-परायणता और देशभक्ति की याद दिलाता रहे।