जम्मू कश्मीर के किश्तवाड जिला के दुर्गम पहाड़ी इलाके ‘सिंथनटॉप’ में हुई भारी बर्फबारी के कारण फंसे 10 लोगों को सेना (Indian Army) ने काफी कड़ी मशक्कत के बाद न केवल सकुशल निकाला‚ बल्कि उनको भोजन आदि देने के बाद सुरक्षित ठिकानों पर भेज दिया गया। इससे साफ हो जाता है कि घाटी में अलगाववादियों से लेकर आतंकवादियों तक, भले सेना को अपना ‘दुश्मन’ समझते हों‚ लेकिन सेना ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों को सकुशल बचाकर देवदूत की भूमिका निभाई है।
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भारतीय सेना (Indian Army) न केवल सरहद पर दुश्मन के छक्के छुड़ाने में अग्रिम भूमिका निभाती आ रही है‚ बल्कि घाटी में आतंकवाद से जूझने के साथ–साथ वहां जब–तब आई प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगों को राहत देने के लिए आगे आती रही है। सन् 2014 में घाटी में आई बाढ़ को लोग अभी भूले नहीं होंगे कि किस प्रकार वहां लगातार भारतीय सेना (Indian Army) के वीर जवानों व लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ में फंसे कश्मीरियों को सकुशल निकाला। इनमें वे कश्मीरी भी शामिल थे‚ जो मौका–बे–मौका भारतीय सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करते रहे।
5 घंटे की लंबी मशक्कत के बाद सेना (Indian Army) ने लोगों को बचाया
सेना (Indian Army) के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेन्द्र आनंद ने बताया‚ गत दिवस प्रदेश के उच्च दुर्गम पहाड़ी इलाकों पर भारी बर्फबारी हुई‚ जिसमें एक इलाका ‘सिंथनटॉप’ भी है। उन्हें जानकारी मिली कि वहां 10 लोग भारी बर्फबारी में घिरे हुए हैं। सेना ने स्थानीय पुलिस की मदद से उनका बचाव अभियान चलाया। गंतव्य तक पहुंचने के लिए सुरक्षाबलों को पांच घंटे बर्फबारी में पैदल चलना पड़ा‚ बल्कि वहां का माहौल इस कदर बिगड़ा हुआ था कि जीरो विजिबिलिटी थी। कड़ी मशक्कत के बाद इन देवदूतों द्वारा 10 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। यह इलाका दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग से सटा है।