अग्नि प्राइम (Agni Prime) में अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग के कारण यह पिछले एडिशन की तुलना में कम वजन वाली स्लीक मिसाइल शक्ति है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अग्नि सीरीज के सबसे एडवांस वर्जन अग्नि प्राइम का टेस्ट अगले सप्ताह हो सकता है। बता दें कि अग्नि प्राइम (Agni Prime) को 4,000 किलोमीटर की रेंज वाली अग्नि-4 और 5,000 किलोमीटर की अग्नि-5 मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीकों को मिलाकर डेवलप किया गया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अग्नि प्राइम मिसाइल की स्ट्राइक रेंज 1000 से 1500 किलोमीटर के बीच होगी। एक अधिकारी के मुताबिक, अग्नि प्राइम में अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग के कारण यह पिछले एडिशन की तुलना में कम वजन वाली स्लीक मिसाइल शक्ति है। इससे इसकी मारक क्षमता पहले तुलना में अधिक घातक होगी।
दो स्टेज और सॉलिड फ्यूल पर आधारित अग्नि प्राइम (Agni Prime) मिसाइल को एडवांस रिंग-लेजर गायरोस्कोप पर आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम द्वारा निर्देशित किया जाएगा। दोनों चरणों में समग्र रॉकेट मोटर्स हैं।
इसका गाइडेंस सिस्टम इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स से लैस हैं। रक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार सिंगल स्टेज वाले अग्नि- I के विपरीत, डबल स्टेज वाले अग्नि प्राइम फ्लैक्सिबिलिटी के साथ सड़क और मोबाइल लॉन्चर दोनों से फायर किया जा सकता है।
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गौरतलब है कि भारत ने मई, 1989 में पहली बार मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-1 का टेस्ट किया था। उस समय इसकी मारक क्षमता 700 से 900 किलोमीटर थी। इसे साल 2004 में सेना में शामिल किया गया था। यदि अग्नि प्राइम का टेस्ट सफल रहता है तो यह अग्नि-1 की जगह ले लेगी। भारत अब तक अग्नि सीरिज की पांच मिसाइल विकसित कर चुका है।