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नागरिकता संशोधन विधेयक: पाक के 25 हजार विस्थापितों को नागरिकता मिलने की उम्मीद

संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 (Citizenship Amendment Bill)  लोकसभा में पास हो गया। ऐसे में राज्य में रह रहे करीब 25 हजार पाकिस्तान (Pakistan) के विस्थापितों को भारतीय बनने की आस फिर जाग उठी है।

दरअसल, पश्चिमी सरहद से सटे पाकिस्तान (Pakistan) के सिंध इलाके में रहने वाले अधिकांश हिंदू परिवार बाड़मेर, जैसलमेर व जोधपुर से जुड़े हुए हैं। इनके पारिवारिक संबंध आज भी यहीं हैं। पाकिस्तान (Pakistan) में अत्याचार से परेशान होकर बड़ी संख्या में हिंदू परिवार अपना घर बेच कर इन इलाकों में आकर बस गए। इनमें से करीब 1500 लोगों को अब तक नागरिकता दी जा चुकी है। करीब 18 हजार पाक विस्थापित जो गैर नागरिक हैं, वे पंजीकृत हैं। करीब तीन हजार गैर पंजीकृत हैं। इनके अलावा करीब 4 हजार राजस्थान के अन्य इलाकों में रह रहे हैं। अभी इन्हें नागरिकता तो दी जा रही है, लेकिन 12 साल के प्राकृतिक रहवास और सरकारी प्रक्रिया में कई जटिलताओं व धीमी गति के चलते नागरिकता मिलना इतना आसान नहीं है। अकेले जोधपुर में करीब 10 हजार लोग इस संशोधन के बाद जल्द भारत के नागरिक बन सकेंगे।

पाक विस्थापितों के लिए काम करने वाली संस्था सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा का कहना है कि राज्य में रह रहे अभी करीब 25 हजार पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता का इंतजार है। केंद्र सरकार ने नागरिकता देने को लेकर तीन साल पहले दिशा-निर्देश जारी कर कलक्टरों को अधिकार दिए थे, लेकिन औपचारिकताएं इतनी हैं कि पाक विस्थापितों को नागरिकता मिलने का काम धीमी गति से चल रहा है। अब केंद्र सरकार प्राकृतिक रहवास की अवधि आधी करने जा रही है, ऐसे में 3000 लोगों को सीधे ही Citizenship Amendment Bill का फायदा मिलेगा। ये ऐसे लोग हैं जिनके माता-पिता का जन्म 1947 के बाद हुआ और 12 साल तक नागरिकता के लिए रहवास करना जरूरी था।

लोकसभा में नागरिकता बिल पास, अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ

शहर के डाली बाई मंदिर क्षेत्र में रहने वाले डॉ. नूरजी भील वर्ष 2004 में भारत आए। बंटवारे से पहले भील का परिवार वर्तमान जैसलमेर के सीमावर्ती इलाके में ही रहता था। बाद में पाकिस्तान (Pakistan) के सिंध में चले गए। वहां परिवार की विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए पढ़ाई कर डॉक्टर बने। जैसे-तैसे गुजारा चलाकर सात साल रहने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन किया लेकिन क्वालिफाइड डॉक्टर की डिग्री होने के बावजूद नागरिकता का मुद्दा आड़े आ गया। नूरजी का कहना है कि सैकड़ों झोलाछाप लोगों का उपचार करने के नाम पर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, वहीं क्वालिफाइड डॉक्टर होने के बावजूद वे नागरिकता नहीं मिलने की वजह से प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे। ऐसे में भारत सरकार के Citizenship Amendment Bill से ही हमें राहत मिलने की संभावना नजर आ रही है।