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Citizenship Amendment Act: देश में लागू हुआ नागरिकता संशोधन कानून

केंद्र सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। 10 जनवरी से यह कानून लागू हो गया है। इसी के साथ संशोधित नागरिकता कानून पूरे देश में प्रभावी हो गया है। बता दें कि इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा।

केंद्र सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। 10 जनवरी से यह कानून लागू हो गया है। इसी के साथ संशोधित नागरिकता कानून पूरे देश में प्रभावी हो गया है। बता दें कि इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा।

इन सभी को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इस कानून के मुताबिक, इन छह समुदायों के शरणार्थियों को पांच साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता दी जाएगी। अभी तक यह समयसीमा 11 साल की थी। संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) के मुताबिक ऐसे शरणार्थियों को गैर-कानून प्रवासी के रूप में पाए जाने पर लगाए गए मुकदमों से भी माफी दी जाएगी। कानून के अनुसार, यह असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा, क्योंकि ये क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं।

इसके साथ ही संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन परमिट (ILP) वाले इलाकों में भी लागू नहीं होगा। आईएलपी (ILP) अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम में लागू है। आपको बता दें कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ देश के तमाम शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए। कई जगह अभी भी ये विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

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