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अब गोली के साथ चलेगी ‘बोली’, नक्सलियों के खिलाफ यह है पुलिस का ‘मास्टर प्लान’

सरेंडर कर चुके नक्सली जवानों को सिखा रहे हैं स्थानीय भाषा। सांकेतिक तस्वीर। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया।

अब गोली के साथ नक्सलियों (Naxal) के खिलाफ पुलिस ‘बोली’ का इस्तेमाल भी करेगी। जी हां, आप इसे पुलिस का ‘मास्टर प्लान’ भी कह सकते हैं। दरअसल छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाकों में नक्सलियों (Naxal) के खिलाफ ऑपरेशन में पुलिस अब तक इसलिए पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही थी क्योंकि सुरक्षा बल स्थानीय लोगों की भाषा को समझने में नाकाम रहते हैं।

लेकिन अब इन इलाकों में स्थानीय लोगों से तालमेल बैठाने के लिए पुलिस ने खास प्लान बनाया है। प्लान के तहत एंटी नक्सली (Naxal) ऑपरेशन के दौरान जवान सीधे ग्रामीणों से जुड़ें और उनकी परेशानी और जानकारी उनकी बोली या भाषा में समझ और समझा सकें इसके लिए पुलिस लाइन में डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के जवानों को गोंडी भाषा बोलने, समझने और लिखने-पढ़ने का प्रशिक्षण दिया जा है। खास बात यह है कि इस क्लास में पुलिस कप्तान भी शामिल हो रहे हैं। जिन्हें आत्म समर्पित नक्सलियों द्वारा गोंडी के शब्द और अर्थ के साथ ग्रामीणों से बातचीत का तरीका बताया जा रहा है।

30 हजार शब्दों की बन रही डिक्शनरी

दरअसल छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में गोंडी भाषा स्थानीय गांव वाले ज्यादा बोलते हैं। यह भाषा सीख कर नक्सली (Naxal) स्थानीय गांव वालों के संपर्क में रहते हैं और उन्हें बरगलाते तथा उनका इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब पुलिस ने नक्सलियों को ‘बोली’ से भी मात देने की मुकम्मल तैयारी शुरू कर दी है। सरेंडर करने वाले कई नक्सली गोंडी भाषा बोलने में पूरी तरह सक्षम होते हैं। इसीलिए इनकी मदद से पुलिस के जवान इस भाषा में दक्ष होने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए गोंडी भाषा से चयनित करीब 30 हजार शब्दों और वाक्यों की एक डिक्शनरी भी तैयार की जा रही है। इसमें गोंडी भाषा के शब्दों का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद होगा। इस काम में शोध और शब्दों के संकलन के लिए फोर्स के जवानों को लगाया गया है।

टेस्ट में पास होने पर मिलेगा इनाम

खास बात यह भी है कि सरेंडर करने वाले नक्सली (Naxal) ना सिर्फ जवानों को यह भाषा सिखा रहे हैं बल्कि वो समय-समय पर उनका टेस्ट भी ले रहे हैं। शिक्षक बन ट्रेनिंग दे रहे पूर्व नक्सली और छात्र के रूप में ट्रेनिंग ले रहे पुलिस के जवानों को पुरस्कृत करने का प्लान भी तैयार किया गया है। जो भी जवान या शिक्षक क्लास में बेहतर परफॉरमेंस देंगे उन्हें पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसका लाभ जवानों को ग्रामीणों से बातचीत, विवेचना के साथ गोंडी में लिखे नक्सलियों के पत्र और बरामद साहित्य के अध्ययन में होगा। अभी यह ट्रेनिंग डीआरजी के जवानों को दी जा रही है। लेकिन इसके बाद थाने में तैनात पुलिसकर्मियों और सीआरपीएफ के जवानों को भी ऐसी ट्रेनिंग दी जाएगी।

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