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चंद्रशेखर आजाद जयंती: 15 साल की उम्र में पहली और आखिरी बार हुए थे गिरफ्तार, काशी ने बनाया था आजादी का दीवाना

चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) के साथी विश्वनाथ वैश्म्पायन द्वारा लिखित आजाद की जीवनी के मुताबिक, काशी ने चंद्रशेखर को आजादी का दीवाना बना दिया था।

नई दिल्ली: आज यानी 23 जुलाई को अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) की जयंती है। उनका जन्म साल 1906 में भावरा, झाबुआ, मध्यप्रदेश में हुआ था। उनकी माता का नाम जगरानी देवी और पिता का नाम सीताराम तिवारी था।

वह अंग्रेजों से देश की स्वतंत्रता के लिए आखिरी दम तक लड़ते रहे और शहादत पाई। उनका कहना था कि मैं आजाद हूं, दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे। आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे।

चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad) के साथी विश्वनाथ वैश्म्पायन द्वारा लिखित आजाद की जीवनी के मुताबिक, काशी ने चंद्रशेखर को आजादी का दीवाना बना दिया था। ये वो दौर था जब असहयोग आंदोलन हो रहा था।

साल 1921 में काशी में क्रांतिकारी जमा हो रहे थे। ऐसे में चंद्रशेखर भी कहां पीछे रहने वाले थे। 15 साल की उम्र में संस्कृत पाठशाला में पहली और आखिरी बार वह गिरफ्तार हुए थे।

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कोर्ट में जब उनसे नाम पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया, आजाद, पिता का नाम स्वाधीनता और घर का पता जेल। इसके बाद उन्हें बेंत से मारने की सजा मिली।

पं. गौरीशंकर शास्त्री आजाद को अपने घर लाए थे और उन्होंने ही उनके घाव पर औषधियां लगाई थीं। इसके बाद से ही चंद्रशेखर को आजाद का उपनाम मिला। इससे पहले तक वह चंद्रशेखर तिवारी थे।