बीजेपी (BJP) की लिस्ट में कई बड़े नाम हैं। बीजेपी महासचिव अरुण सिंह (Arun Singh) को भी उम्मीदवार बनाया है। इस सूची में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी (EX.DGP) बृजलाल (Brij Lal) का भी नाम है।
बीजेपी (BJP) ने 26 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लिए अपने राज्यसभा सीटों (Rajya Sabha Seats) के लिए अपने 8 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इस सूची में कई बड़े चेहरों को जगह मिली है। बीजेपी की लिस्ट में कई बड़े नाम हैं। देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर (Chandra Shekhar) के बेटे नीरज शेखर (Neeraj Sekhar) को भी उम्मीदवार बनाया गया है।
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) और बीजेपी महासचिव अरुण सिंह (Arun Singh) को भी उम्मीदवार बनाया है। इस सूची में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी (EX.DGP) बृजलाल (Brij Lal) का भी नाम है।
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बृजलाल उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस प्रमुख और कभी मायावती के बेहद करीबी रहे हैं। 1977 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अफसर बृजलाल जनवरी, 2015 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। साल 2018 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूर्व आईपीएस बृजलाल को राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया।
बृजलाल 4 बार राष्ट्रपति पदक से भी सम्मानित किए गए। बृजलाल साल 2007 में उत्तर प्रदेश में एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) के रूप में तैनात थे, लेकिन इसी साल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री मायावती के साथ उनके संबंध काफी अच्छे हो गए और सितंबर, 2011 में मायावती ने सारे नियमों और 2 वरिष्ठ पुलिस अफसरों की जगह बृजलाल को तरक्की देते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) बना दिया।
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हालांकि वह इस पद पर महज 3 महीने ही रह सके थे। साल 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने जनवरी, 2012 में आईपीएस बृजलाल को डीजीपी के पद से हटा दिया था। चुनाव से पहले कई विपक्षी दलों ने उनके डीजीपी पद पर बने रहने की शिकायत चुनाव आयोग से की थी, जिसके बाद आयोग ने उन्हें पद से हटा दिया। इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी (BJP) समेत कई पार्टियों ने स्वागत भी किया था।
चुनाव के बाद जब अखिलेश यादव सत्ता में आए तो उन्होंने 15 मार्च, 2012 को बृजलाल की डीजीपी पद पर बहाली नहीं की और उन्हें हटा दिया। बृजलाल की गिनती उत्तर प्रदेश में ताकतवर अफसरों में की जाती रही है और मायावती के शासनकाल के दौरान वे सबसे ज्यादा ताकतवर दलित अफसरों में से एक रहे हैं।
मायावती से नजदीकियां होने की वजह से कयास लगाए जाते रहे हैं कि बृजलाल बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन सभी को चौंकाते हुए उन्होंने जनवरी, 2015 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की।
उत्तर प्रदेश के ताकतवर अफसरों में शुमार किए जाने वाले बृजलाल का जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के एक दलित परिवार में हुआ था। उन्हें पढ़ाई करने के लिए अपने घर से करीब 20 किलोमीटर पैदल स्कूल जाना पड़ता था। यहां तक कि दलित होने के नाते उन्हें कक्षा में सीट हासिल करने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ता था।
साल 1977 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयन होने के बाद बृजलाल इलाहाबाद (अब प्रयागराज) शिफ्ट हो गए और जल्द ही उनकी छवि सख्त पुलिस अफसर की बन गई। उन्होंने माफियाओं, डकैतों और आतंकियों के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए। बृजलाल को चित्रकूट में डकैतों के एनकाउंटर के लिए बतौर एडीजी अभियान की अगुवाई के लिए जाना जाता है। साथ ही बृजलाल ने प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए किताबें लिखी हैं।
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बता दें कि बीजेपी (BJP) की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रत्याशियों के नामों पर फैसला लिया गया। इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अलावा समिति ने सदस्य मौजूद थे।