महाराष्ट्र: गढ़चिरौली में मुठभेड़, जवाबी कार्रवाई के बाद जान बचाकर भागे नक्सली
आर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia-Azerbaijan) के विदेश मंत्रियों ने एक बयान में कहा कि संघर्ष-विराम का मकसद कैदियों की अदला–बदली करना तथा शवों को लेना है। इसमें कहा गया है कि अन्य बातों पर सहमति बाद में बनेगी।
हालांकि सीजफायर लागू होने के कुछ ही मिनटों बाद दोनों देशों ने संघर्ष-विराम के उल्लंघन का एक दूसरे पर आरोप लगाया। लेकिन इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है। इस घोषणा से पहले मास्को में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की देखरेख में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच 10 घंटे तक बातचीत हुई थी।
रूसी विदेश मंत्री लावरोव के अनुसार, ये संघर्ष-विराम विवाद निपटाने के लिए बातचीत का मार्ग प्रशस्त करेगा। आर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia-Azerbaijan) के विदेश मंत्रियों के बीच ये बातचीत रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर हुई थी।
रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि यदि ये संघर्ष-विराम जारी रहता है‚ तो यह रूस का बड़ा राजनयिक कदम साबित होगा। रूस का आर्मेनिया के साथ सुरक्षा समझौता है और अजरबैजान के साथ भी उसके अच्छे संबंध हैं।
ताजा संघर्ष के बाद से आर्मेनिया संघर्ष-विराम के लिए तैयार था‚ जबकि अजरबैजान ने कहा था कि यह तभी संभव होगा‚ जब आर्मेनिया के सुरक्षाबल नागोरनो-काराबाख (Nagorno-Karabakh) से पीछे हट जाए। नागोरनो–काराबाख सेना के अनुसार‚ 27 सितंबर से उसके 404 सैनिक मारे जा चुके हैं। अजरबैजान ने अपने सैन्य नुकसान की जानकारी नहीं दी है। दोनों ओर (Armenia-Azerbaijan) के सैकड़ों आम जनता भी इस दौरान मारे गए हैं।