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इस बहादुर महिला पुलिसकर्मी ने लावारिस लाश को कंधे पर रखा, 2 KM पैदल चलकर पहुंचाया श्मशान

Women SI Kotturu Sirisha II Pic Credir: tv9

सवा सौ करोड़ आबादी वाले इस देश इसांनियत खत्म होती जा रही है। आज के दौर में लाचार व्यक्ति की मदद करने के लिए कोई आगे नहीं आता, बल्कि वीडियो बनाकर उसे प्रसारित जरूर किया जाता है। और अगर बात भारतीय पुलिस की हो तो, अधिकांश लोगों के दिलो-दिमाग में पुलिस की छवि खराब ही है। लेकिन आंध्र प्रदेश के कोशी बग्गा पुलिस स्टेशन में तैनात एक महिला सब-इंस्पेक्टर के सिरीशा (Sub-Inspector Kotturu Sirisha) ने दोनों ही अवधारणाओं को गलत साबित कर दिया।

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दरअसल पूरा मामला श्रीकाकुलम जिले के कोशी बग्गा इलाके का है। जहां थाने में तैनात महिला एसआई सिरीशा (Kotturu Sirisha) ने अपने साहसी काम से इंसानियत की मिसाल पेश की है। सिरीशा को स्थानीय माध्यम से सूचना मिली की पास के ही एक गांव में दो दिन से एक लावारिस लाश पड़ी हुई है और उसे कोई व्यक्ति नहीं छू रहा ना ही उसका दाह-संस्कार कर रहा है। ऐसे में सिरीशा खुद ही इस लावारिस लाश को उठाने पहुंच गईं।

एसआई सिरीशा (Kotturu Sirisha) ने उस लाश को अपने कंधे पर लादकर करीब दो किलोमीटर दूर श्मशान तक पैदल ही गईं। इस दौरान सिरीशा खेतों के बीच पतली पगडंडियों पर ही चलीं। डीजीपी गौतम स्वांग ने भी सिरीशा के इस साहसी काम की सराहना की है। साथ ही राज्य पुलिस ने अपने आधिकारिक पेज पर सिरीशा के इस मानवीय कार्य की सराहना की और महिला एसआई का वीडियो शेयर किया।

सोशल मीडिया पर इस वीडियो को काफी सराहना मिल रही है और हर कोई सिरीशा के इस महान काम को सलाम कर रहा है। इस दौरान सिरीशा (Kotturu Sirisha) ने कहा कि वह शव एक 80 साल के भिखारी की थी। गांव में रास्ते के अभाव के कारण वहां तक कोई गाड़ी नहीं जा सकती थी। ऐसे में उन्होंने ग्रामीणों से शव को श्मशान घाट तक पहुंचाने का अनुरोध किया, लेकिन कोई भी मदद को आगे नहीं आया। ऐसे में सिरीशा ने एक स्थानीय स्वंयसेवी संस्था के सदस्य की मदद से उस शव को श्मशान तक पैदल ही ले गईं।

गौरतलब है कि एसआई सिरीशा (Kotturu Sirisha) बारह साल के एक बच्चे की मां हैं और अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए पुलिस में नौकरी कर रही हैं। बतौर सिरीशा, उन्होंने लोगों की सेवा करने के लिए इस पेशे को चुना है। क्योंकि जिस तरह समाज के लोग जीवित रहते हुए सम्मान के हकदार हैं, उसी तरह मरने के बाद भी लोगों को सम्मान मिलना चाहिए। ऐसे में इस मृत शरीर को श्मशान तक पहुंचाकर उन्होंने इंसानियत के लिए अपना फर्ज निभाया है।