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नवजात बेटे को भी सेना में भेजने का सपना है शहीद की विधवा का

martyr rajesh yadav

पुलवामा हमले (Pulwam Attack) के शहीदों के परिवार की मार्मिक कहानियां तो हर रोज हमारे सामने आ ही रही हैं। साथ ही कुछ और शहीदों की कहानियां भी हैं जो आंखों को नम होने पर मजबूर करती हैं। 5 दिसंबर, 2018 को पाकिस्तानी सेना के हमले में जम्मू-कश्मीर में एटा के जलेसर क्षेत्र के गांव रेजुआ के रहने वाले राजेश यादव शहीद हो गए थे। राजेश अपने माता-पिता की इकलौते संतान थे। शहादत के वक्त शहीद की पत्नी गर्भवती थीं।

राजेश यादव की शहादत के बाद पूरा परिवार महीनों तक शोक में था। मां-बाप ने अपना इकलौता बेटा खो दिया था तो बीवी ने अपना पति। एक तरफ पत्नी रीना को अपने पति के जाने का गम सताये जा रहा था तो दूसरी तरफ कोख में पल रहे बच्चे के भविष्य की चिंता भी थी।

पर मंगलवार को लगभग दो महीने के बाद परिवार में थोड़ी खुशी वापस आई, जब राजेश की पत्नी रीना ने एक सुंदर एवं स्वस्थ बालक को जन्म दिया। शहीद के मां-बाप के चेहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट दिखाई दी। पिता नेमसिंह के अनुसार नाती के रूप में उनका बेटा वापस आ गया है तो वहीं शहीद की मां रामवती के लिए ये बेटे से भी दुलारा है। इकलौते बेटे को खोने के ग़म में दिन प्रतिदिन शोक मनाने वाले परिवार में खुशियों की छोटी सी बारात आई है।

शहीद की विधवा पत्नी ने बेटे के जन्म के बाद कहा कि वो अपने लाल को सेना में भेजेगी ताकि वहां जाकर अपने पापा की शहादत का बदला ले सके। अपने पति की शहादत का जख्म अभी भरा ही नहीं था कि नवजात बच्चे को भी आगे चलकर भविष्य में सेना में भेजने की बात बड़े गर्व से कर रही हैं। यही तो सच्ची राष्ट्रभक्ति है।