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पानी में पैराशूट लेकर उतरने से लेकर पहाड़ों पर बिना सहारे चढ़ने तक, इंडियन आर्मी के इस यूनिट के आगे सभी हैं फेल

स्पेशल फ्रंटियर फोर्स का गठन 14 नवम्बर, 1962 को हुआ था।

तिब्बती गुरू दलाई लामा के भारत आने के तकरीबन तीन साल बाद ही 14 नवंबर 1962 को एसएफएफ (स्पेशल फ्रंटियर फोर्स) का गठन हुआ था। जब यह लगभग तय हो चुका था कि भारत चीन के सामने पराजित हो चुका है, भारतीय गुप्तचर संस्था रॉ ने सरकार के सामने एक गुप्त सैन्य बल के गठन का प्रस्ताव रखा। इस बल में सभी जवान तिब्बती मूल के लोग रखे गए। इसका मुख्यालय चकराता (उत्तराखंड) में बनाया गया जहां काफी तादाद में तिब्बतवासी रहते हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत-चीन सीमा के मुद्दों पर कार्य करना है। अब तक हमने देश के कई फोर्सेज के बारे में आपको विस्तार से बताया है। आज बात देश के एक ऐसे फोर्स की जिसके ऑपरेशन्स के बारे में ज्यादातर भारतीय सेना को भी जानकारी नहीं होती।

स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के जवान।

क्या है स्पेशल फ्रंटियर फोर्स? स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (SFF) देश के अर्धसैनिक बलों में एक है। स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के गठन का मुख्य उद्देश्य सीमा पर भारत-चीन वार के दौरान चीनी सेना की गतिविधियों को अपनी सेना तक पहुंचाने के लिए किया गया था। बाद में इसका उपयोग युद्ध और अहम ऑपरेशन में भी किया गया। स्पेशल फ्रंटियर फोर्स में फिलहाल 10,000 सैनिक कार्यरत हैं। पहले इसे मुख्य रूप से इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अधीन रखा गया था। अब यह रॉ (RAW) और देश की दूसरी खुफिया एजेंसियों के निर्देशन पर काम करती है।

अब तक इन ऑपरेशन्स को दिया अंजाम: स्पेशल फ्रंटियर फोर्स ने अब तक भारत-पाक युद्ध (1971), करगिल वॉर (1999), ऑपरेशन ब्लू स्टार, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन कैक्टस, आपरेशन रक्षक जैसे गुप्त ऑपरेशन में अपनी अहम भूमिका अदा की है। एसएफएफ का गठन बेशक चीन को ध्यान में रखकर किया गया लेकिन 1962 के युद्ध के बाद ऐसी नौबत कभी नहीं आई कि इस मकसद के लिए बल का इस्तेमाल किया जाए।

यह है विशेषता: यह फोर्स विशेष टोही, सीधी कार्रवाई, बंधक बचाव, आतंकवाद विरोधी गतिविधियों, अपरंपरागत युद्ध और गुप्त ऑपरेशन को अंजाम देने में माहिर है। एसएफएफ का मुख्य काम गुरिल्ला युद्ध लड़ना है। लेकिन मिशन के मुताबिक इस फोर्स का काम और काम करने का तरीका भी बदलता रहता है। इस फोर्स का इस्तेमाल आतंकियों के खिलाफ भी किया जा सकता है। इस फोर्स का इस्तेमाल हाईजैक ऑपरेशन्स के लिए भी किया जाता है। एसएसएफ पैरामिलिट्री फोर्स की स्पेशल यूनिट है। इस यूनिट को बंधक छुड़ाने और गुप्त ऑपरेशन में महारत हासिल होती है। स्पेशल फ्रंटियर फोर्स की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की यह फोर्स भारतीय खुफ़िआ तंत्र रॉ के साथ काम करती है। इस फोर्स को किसी भी मिशन के पहले प्रधानमंत्री को सूचना देनी पड़ती है। यह फोर्स कैबिनेट सेक्रेट्रियेट के डायरेक्ट्रेट जनरल के जरिए सीधे प्रधानमंत्री को सूचना देती है। इसका पूरा सेटअप ऐसा होता है कि भारतीय सेना को भी इसके ऑपरेशन की जानकारी नहीं होती है। अचानक युद्ध की स्थिति में यह फोर्स बेहतरीन काम कर सकती है।

ट्रेनिंग के अहम बिंदु: