यह इंसानियत की मिसाल पेश करती पश्चिम सिंहभूम जिले की घटना है। 14 फरवरी को पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि उग्रवादी समूह के स्वघोषित उप-मंडलीय कमांडर कांडे होन्हागा के नेतृत्व में माओवादी किसी साजिश को अंजाम देने की फिराक में हैं। इसके बाद, सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों और जिला पुलिस की एक टीम जिले के मुफ्फसिल और गोइलकेरा पुलिस थाना क्षेत्रों के बीच पड़ने वाले घटनास्थल की ओर रवाना हुई।
पश्चिमी-सिंहभूम जिले के गोइलकेरा के इच्छाबेड़ा जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ (CRPF) और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों से आत्मसमर्पण करने को कहा। लेकिन नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया और गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाकर्मियों ने दोनों तरफ से जंगल को घेर लिया लेकिन माओवादियों ने उन पर गोलीबारी जारी रखी। इसमें बीस साल की महिला नक्सली ननकी सुरीन भी थी। वह जवानों को मार गिराने के लिए उन पर अंधाधुंध फायरिंग करती रही।
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इस बीच जवानों ने उसके पैर में गोली मार दी। वह लहूलुहान अवस्था में नक्सली कैंप के पास तड़प रही थी। उसके साथी उसे जख्मी हालत में छोड़कर वहां से भाग गए। भागते समय ननकी सुरीन के साथी उसका हथियार भी ले गए। घायल हालत में उसकी परवाह तक नहीं की। फायरिंग खत्म होने के बाद जब जिला पुलिस और सीआरपीएफ (CRPF) के जवानों ने सर्च-ऑपरेशन चलाया तो उन्हें ननकी सुरीन कैंप के पास तड़पती मिली।
सीआरपीएफ (CRPF) ने पहले उसे अपने कब्जे में लिया। इसके बाद मानवता की मिसाल पेश करते हुए जंगल में अस्थाई अस्पताल बनाकर उसका प्राथमिक उपचार किया। फिर उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाकर भर्ती कराया। वहां चिकित्सकों ने उसे तुरंत सदर अस्पताल चाईबासा ले जाने की सलाह दी। जवान उसे उसी रात चाईबासा सदर अस्पताल लेकर पहुंचे।
डाक्टरों ने जान बचाने के लिए तत्काल खून की जरूरत बताई। ऐसे में सीआरपीएफ के तीन जवानों ने खून देकर ननकी सुरीन की जान बचाई। बाद में बेहतर इलाज के लिए उसे एम जी एम अस्पताल रेफर कर दिया गया। मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों पर गोलियां बरसाने वाली महिला नक्सली की जान बचाकर जवानों ने इंसानियत का उदाहरण दिया है।
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