बुधवार को जम्मू कश्मीर के बडगाम में एयरफोर्स के एमआई-17 विमान क्रैश में कानपुर निवासी दीपक पांडेय शहीद हो गए थे। दीपक पांडेय कानपुर के चकेरी के मंगला-विहार में रहते थे। दीपक ने 2013 में एयरफोर्स जॉइन किया थी। अभी एक हफ़्ते पहले दीपक बीस दिन की छुट्टी बिता कर वापस ड्यूटी पर गए थे।
छुट्टियों के दौरान दीपक जब घर आए थे तो घर बनवाने का काम तेजी से करवा रहे थे। दीपक इस बार घर पर वादा करके गए थे कि अगली बार जब आऊंगा तो आप सब की पसंद की लड़की देखकर शादी कर लूंगा। पर किसी को क्या पता था कि अब उनका लाल कभी वापस नहीं आएगा।
दीपक के पिता की तबीयत ख़राब रहती थी इसलिए दीपक ने हाल ही में पिता की नौकरी छुड़वा दी थी। उन्होंने कहा था कि अब वे आराम करें। घर की जिम्मेदारी वह उठाएंगे। बुधवार दोपहर दीपक की मां रमा को फोन पर जैसे ही पता चला कि उनका लाल हादसे में शहीद हो गया है तो वह बेहोश होकर गिर पड़ीं। मां के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। परिवार के अलावा पूरे कानपुर में शोक की लहर उमड़ पड़ी। हर किसी के आंखों में आंसू आ गए, घर पर सांत्वना देने वालों का तांता लग गया।
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28 फरवरी को शहीद का पार्थिव शरीर देर शाम कानपुर पहुंचा। इसलिए उनका अंतिम संस्कार नहीं हो सका। 1 मार्च की सुबह राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। शहीद के शव के साथ निकली अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल थे। लोगों की आंखों में आंसू, चेहरे पर गर्व और जुबान पर देशभक्ति के नारे थे।