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मोदी-जिनपिंग ने आतंकवाद और कट्टरता के खिलाफ मिलाया हाथ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के पहले दिन पांच घंटे से अधिक समय तक खुले और खुशनुमा माहौल में बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने भारत और चीन की जनता के बीच ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों के धागों को मजबूत करने के साथ ही व्यापार असंतुलन और आतंकवाद एवं मजहबी कट्टरपन को दूर करने के लिए साथ मिल कर काम करने की जरूरत स्वीकार की। हालांकि दोनों नेताओं की इस बातचीत में जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस बातचीत से पहले ही भारत ने ये साफ कर दिया था कि कश्मीर उनका आंतरिक मामला है और इसपर किसी भी तीसरे पक्ष से बातचीत कोई सवाल ही नहीं है। 

विदेश सचिव विजय गोखले के अनुसार ‘मोदी ने सरकार की प्राथमिकताओं, आर्थिक विकास के लक्ष्य आदि के बारे में बताया जबकि शी जिनपिंग ने मोदी की चुनावी विजय को उनकी लोकप्रियता का प्रमाण बताते हुए उनके साथ अगले साढ़े चार वर्ष तक निकटता से काम करने की इच्छा का इजहार किया’। दोनों नेताओं के बीच निवेश और कारोबार मात्रा एवं मूल्य दोनों प्रकार से बढ़ाने तथा व्यापारिक असंतुलन को दूर करने के बारे में बातचीत हुई। मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए चुनौती बताया और इससे मिलकर मुकाबले की बात कही। चीनी राष्ट्रपति ने इस मुद्दे की जटिलता की ओर इशारा किया और कहा कि मजहबी कट्टरता दोनों देशों के विविधतापूर्ण समाज के लिए चुनौती है।

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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने हवाईअड्डे पर भव्य स्वागत और उनके विश्राम के लिए शानदार इंतजाम के लिए धन्यवाद कहा। मोदी ने उन्हें तीन विश्व धरोहर स्थलों का भ्रमण कराया और इस शहर से चीन के फुचियान प्रांत के संपर्क के इतिहास के बारे में भी चर्चा की। वहीं आज भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत चल रही है। आज की बातचीत को मुख्य मुद्दा आतंकवाद और कारोबारिक मंदी हो सकता है क्योंकि एशिया का दो महाशक्ति वाले देशों के बीच यदि आपसी सहयोग और सामंजस्य बैठता है तो निश्चय ही ये दोनों देशों के हित के लिए सही साबित होगा।