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20 मई 1498: वास्कोडिगामा ने की थी भारत की खोज, मौत और तूफानों से भरा था सफर, जानें पूरी कहानी

वास्कोडिगामा

Vasco da Gama: यूरोप के देश इस राज को जानना चाहते थे कि अरब को सामान कहां से मिलता है। इसी बीच इटली के क्रिस्‍टोफर कोलंबस ने अपनी लंबी यात्रा शुरू की। लेकिन वह भारत को नहीं खोज सका। 

नई दिल्‍ली: 20 मई का दिन भारत के इतिहास में अहम दिन है। साल 1498 में इसी दिन वास्कोडिगामा (Vasco da Gama) अपनी लंबी यात्रा के दौरान भारत के दक्षिण में कालीकट पहुंचा था। यानी उसने भारत की एक तरह से खोज की थी।

हालांकि भारत को खोजने का उसका मकसद पूरी तरह से व्यापारिक था। इस पूरे मामले को हम आपको डिटेल में बताएंगे।

यूरोपीय देशों को भारत का पता नहीं लगने देना चाहता था अरब

यूरोप के देश, मसाले और चाय समेत काफी सामान अरब से खरीदते थे। अरब को ये सारी वस्तुएं भारत से मिलती थीं, लेकिन अरब ने यूरोपीय देशों को ये कभी नहीं पता लगने दिया कि वो जरूरी सामान कहां से लेता है।

ऐसे में यूरोप के देश इस राज को जानना चाहते थे कि अरब को ये सामान कहां से मिलता है। इसी बीच इटली के क्रिस्‍टोफर कोलंबस ने अपनी लंबी यात्रा शुरू की। वह भारत की खोज करना चाहता था, लेकिन अटलांटिक महासागर में आकर वह भटक गया। वह अमेरिका के तट पर जब पहुंचा तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि ये भारत नहीं है।

कोलंबस नहीं खोज पाया भारत तो वास्कोडिगामा ने की अपनी शुरुआत

कोलंबस की भारत की खोज एक सपना ही रह गई। कोलंबस की यात्रा के 5 साल बाद वास्कोडिगामा (Vasco da Gama) ने अपनी यात्रा शुरू की। उसने साल 1497 में 200 से ज्यादा नाविकों के साथ अपना सफर शुरू किया। इस दौरान उसके साथ 4 और जहाज भी थे।

भारत की खोज के सफर में वास्कोडिगामा पहले अफ्रीका पहुंचा, यहां पहुंचकर उसे लगा कि ये उसकी मंजिल नहीं है, अभी रास्ता लंबा है। इसके बाद वह हिंद महासागर पहुंचा। यहां तक की यात्रा में उसके कई साथी बीमार हो गए और खाने का सामान भी कम हो गया।

मोजांबिक में रुककर वास्कोडिगामा ने सुधारी अपनी हालत और जाना रास्ता

अपने हालातों को देखते हुए वास्कोडिगामा मोजांबिक में रुका। यहां के सुल्तान से ही उसे भारत के बारे में अहम जानकारी मिली और उसने ही वास्कोडिगामा को भारत का रास्ता बताया। यहां के सुल्तान ने उसे खाने का सामान दिया और कई उपहार देकर विदा किया।

वो 20 मई 1498 का दिन था, जब वास्कोडिगामा (Vasco da Gama) भारत के कालीकट पहुंचा। यहीं से अरब सारी चीजें खरीदता था।

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इसके बाद वास्कोडिगामा ने कालीकट के राजा से मुलाकात की और उसे व्‍यापार करने के लिए राजी कर लिया। इसके बाद वह 3 महीने तक कालीकट में रहा। फिर वह पुर्तगाल की ओर रवाना हो गया।

मौजूद जानकारी के मुताबिक, जब पूरा सफर तय करके वास्कोडिगामा वापस लौटा था, तो उसके साथ केवल 55 नाविक ही जिंदा लौट सके थे, जबकि उसने अपना सफर 200 से ज्यादा नाविकों के साथ शुरू किया था।

1498 में भारत की खोज करने के बाद 2 बार फिर यहां आया वास्कोडिगामा

1498 में भारत की खोज करने के बाद वास्कोडिगामा 2 बार यहां आया। साल 1502 में उसे पुर्तगाल के राजा ने नौसेना के साथ भारत भेजा। इस दौरान वास्कोडिगामा ने भारत के कालीकट पर कई हमले किए, जिससे कालीकट के राजा को उससे संधि करनी पड़ी। इसके बाद वह 1502 में ही वापस पुर्तगाल चला गया।

साल 1522 में वास्कोडिगामा को फिर भारत के सपने आने लगे और वह इसी साल फिर भारत आया। इस बार वह कुछ समय तक भारत में रहा लेकिन साल 1524 में उसकी तबीयत बिगड़ने लगी, जिसके बाद 24 मई साल 1524 को उसकी भारत में ही मौत हो गई। उसे कोच्चि में दफना दिया गया। हालांकि साल 1538 में उसकी कब्र को खोदकर उसके अवशेषों को पुर्तगाल ले जाया गया था।