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Today History (26 April): हिंदी सिनेमा के महान संगीतकार शंकर सिंह रघुवंशी की पुण्यतिथि

आज का इतिहास (Today History): 26 अप्रैल को देश और दुनिया में हुई कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं में से कुछ हैं, हिंदी फिल्म जगत के महान संगीतकार की जोड़ी शंकर-जयकिशन किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इनकी संगीत लहरियों की खुशबू से फिल्म जगत की आकाशगंगा हमेशा गुलजार ही रही है। शंकर का जन्म 15 अक्तूबर 1922 को पंजाब में हुआ था
शंकर यानी शंकर सिंह रघुवंशी जो पंजाब से आए थे। बचपन के दिनों से ही शंकर भी संगीतकार बनना चाहते थे और उनकी रुचि तबला बजाने में थी। उन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा बाबा नासिर खान साहब से ली थी। अपने शुरुआती दौर में शंकर ने सत्यनारायण और हेमावती द्वारा संचालित एक थिएटर ग्रुप में काम किया। इसके साथ ही पृथ्वी थिएटर के नाटकों में वह छोटे-मोटे रोल भी किया करते थे। इसी दौरान वो पृथ्वी थिएटर के सदस्य बन गए जहां वह तबला बजाने का काम किया करते थे। शंकर की सिफारिश पर जयकिशन को पृथ्वी थिएटर में हारमोनियम बजाने के लिए नियुक्त कर लिया गया। इस बीच शंकर और जयकिशन  ने संगीतकार हुस्नलाल भगतराम की शागिर्दी में संगीत सीखना शुरू किया। शंकर और जयकिशन  की प्रतिभा से प्रभावित होकर हुस्नलाल भगतराम ने उन्हें अपना सहायक बना लिया। शंकर और जयकिशन  दोनों ही संगीत निर्देशक बनना चाहते थे। दोनों दिन में अपनी नौकरी निभाते थे और रात को हारमोनियम तबला लेकर बैठ जाते थे धुनें बनाने में। कई प्यारे धुने बना ली थी उन्होंने और चाहते थे कि किसी निर्देशक को अपने धोने सुनाएं ताकि उन्हें संगीत निर्देशन का काम मिल सके लेकिन निर्देशकों तक पहुंच नहीं थी उन दोनों की। दोनों अपने दोनों सुनाने के लिए राज कपूर के पास जाते थे लेकिन राज कपूर व्यस्तता के कारण उनकी धोने सुन नहीं पाते थे उन विराम जब राज कपूर बरसात बना रहे थे तो दोनों उनके पास पहुंचे और इस बार राज साहब ने उनके लिए समय निकाला यह कहते हुए कि चलो ए का धुन जल्दी से सुना दो। लेकिन पहले ही ढूंढने राज साहब पर ऐसा जादू चलाया कि सारे काम छोड़ कर उनकी सारी धुन सुनी और राम गांगुली की जगह पर उन दोनों को संगीत निर्देशन का काम दे दिया। शंकर की जोड़ी जयकिशन के साथ वर्ष 1971 तक कायम रही। बारह सितंबर 1971 को जयकिशन इस दुनिया को अलविदा कह गये। अपने मधुर संगीत से श्रोताओं को भावविभोर करने वाले संगीतकार शंकर भी 26 अप्रैल 1987 को इस दुनिया को अलविदा कह गये ।

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