शशि कपूर (Shashi Kapoor) का वजूद किसी परिचय का मोहताज नहीं है। ऐतिहासिक फिल्म मुगल-ए-आजम में अकबर का बेमिसाल किरदार निभाने वाले पृथ्वीराज कपूर के छोटे बेटे शशि कपूर अपने मशहूर भाईयों राज कपूर और शम्मी कपूर से किसी भी लिहाज से कतई कम नहीं थे।
मोती जैसी चमचमाते दातों के लिए दुनियाभर में मशहूर शशि कपूर (Shashi Kapoor) अपने खानदान के सब से ज्याजा हैंडसम हीरो माने जाते थे। इस मामले में राज कपूर के मझले बेटे ऋषि कपूर का नंबर अपने चाचा शशि कपूर के बाद आता है। यों तो शशि कपूर ने हर किस्म के किरदार निभाए थे, मगर रोमांटिक फिल्मों में उन्हें ज्यादा ही पसंद किया जाता था। इस मामले में रोमांटिक सुपरस्टार राजेश खन्ना के बाद शशि कपूर का ही जलवा था। तमाम हीरोईनों के साथ उन की रोमांटिक जोड़ियां मशहूर थीं।
कोलकाता में 18 मार्च 1938 को जन्मे शशि कपूर (Shashi Kapoor) भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के बेहद पसंदीदा सितारे हैं। इन्हें बलबीर राज कपूर भी कहते हैं। राज कपूर और शम्मी कपूर के छोटे भाई शशि कपूर (Shashi Kapoor) अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के चहेते थे।
शशि कपूर (Shashi Kapoor) की स्कूली पढ़ाई मुंबई के डॉन बॉस्को स्कूल में हुई। स्कूल में वह नाटक में काम करना चाहते थे लेकिन कभी रोल पाने में कामयाब नहीं हुए। आखिर में उनकी यह तमन्ना पूरी हुई पापाजी के पृथ्वी थिएटर से। पहले उन्हें बाल भूमिकाएं और फिर बड़े रोल मिले। पृथ्वी थिएटर में ₹50 मासिक पर काम करके जब शशि कपूर (Shashi Kapoor) अपनी स्टेज पर काम का करने की तमन्ना पूरी कर रहे थे तभी उनकी मुलाकात ब्रिटेन की मशहूर नाटक मंडली शेक्सथियरेना के संचालक केंडल की पुत्री जेनिफर से हुई और यह मुलाकात धीरे धीरे मित्रता, प्यार और अंत में शादी में बदल गई। दरअसल दोनों की दोस्ती और प्रेम की भनक जेनिफर के पिता केंडल को लग गई, उन्होंने बेटी को शशि से दूर रहने की हिदायत दी, लेकिन जेनिफर ने पिता से बगावत करके उनका थियेटर ग्रूप छोड़ दिया और शशि के पास चली आईं। इधर शशि कपूर के घरवाले भी इस रिश्ते के खिलाफ थे, क्योंकि 23 वर्षिय जेनिफर 20 वर्षिय शशि कपूर से 3 साल बड़ी थीं। ऐसे में शशि कपूर को उनकी भाभी गीता बाली का साथ मिला। शशि कपूर और जेनिफर ने दोनों परिवारों के खिलाफ जाकर 2 जुलाई को आर्य समाज मंदिर में शादी की। इस तरह शशि कपूर, कपूर खानदान के एकलौते ऐसे शख्स हैं जिन्होंने पूरे परिवार से बगावत करके एक विदेशी महिला से शादी की। जेनिफर जेनिफर की 1984 में कैंसर के कारण मौत हो गई। उनके दो बेटे करण कपूर और कुणाल कपूर तथा बेटी संजना कपूर है।
शशि कपूर (Shashi Kapoor) ने 40 के दशक से ही बाल कलाकार के रूप में फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। उस दौरान कुछ पौराणिक फिल्मों में काम किया। बाल कलाकार के रूप में उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन ‘आग’ (1948) और ‘आवारा’ (1951) में था जिसमें उन्होंने अपने बड़े भाई राज कपूर की बाल्यावस्था की भूमिका की थी।
फिल्मों में मुख्य भूमिका की शुरुआत उन्होंने 1961 में यश चोपड़ा की फिल्म ‘धर्मपुत्र’ से की और उसके बाद उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों में काम किया। वह कई यादगार हिट फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। वो 1960, 1970 और 1980 के पूर्वार्ध के दशक के बहुत प्रसिद्ध कलाकार थे। उन्होंने ‘वक्त’ (1965), ‘दीवार’ (1975), ‘कभी-कभी’ (1976), ‘त्रिशूल’ (1978), ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ (1978), ‘काला पत्थर’ (1979), ‘शान’ (1980), ‘नमक हलाल’ (19820, सहित कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। उनकी अधिकतर सफल फिल्में 1970-1980 के दशक की है और उनमें उनके सह कलाकार अमिताभ बच्चन है।
अमिताभ बच्चन के साथ उनकी कई फिल्में सुपरहिट रहे जिनमें ‘दीवार’, ‘दो और दो पांच’, ‘नमक हलाल’ आदि शामिल हैं। हालांकि फिल्म में काम करना उन्होंने बचपन से ही शुरू कर दिया था जिनमें ‘आग’ (1948), ‘आवारा’ (1951) जैसी फिल्में शामिल है। उनकी अन्य चर्चित फिल्मों में ‘जब जब फूल खिले’, ‘आमने-सामने’, ‘हसीना मान जाएगी’, ‘शर्मीली’, ‘चोर मचाए शोर’, ‘काला पत्थर’, ‘सिलसिला’ और ‘बसेरा’ जैसी कई बेहतरीन फिल्में शामिल है। सिर्फ एक्टर नहीं बल्कि बतौर प्रोड्यूसर और डायरेक्टर उन्होंने कई फिल्मों में अपना योगदान दिया है।
वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फिल्मों में काम करने के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने अपनी पत्नी जेनिफर केंडल के साथ मर्चेंट आईवरी प्रोडक्शंस के तहत ‘शेक्सपियर वल्लाह’ (1965), ‘बॉम्बे टॉकीज’ (1970) और ‘हीट और डस्ट’ (1982) जैसी कई ब्रिटिश और अमेरिकन फिल्मों में भी काम किया।
इतिहास में आज का दिन – 04 दिसंबर
1980 में उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस ‘फिल्म वलास’ की स्थापना की जिसके तहत ‘कलयुग’ (1981), ‘36 चौरंगी लेन’ (1981) और ‘उत्सव’ (1984) जैसी फिल्मों का निर्माण किया। 1991 में उन्होंने ‘अजूबा’ फिल्म का निर्माण किया और निर्देशन किया जिसमें अमिताभ बच्चन और उनका भतीजा ऋषि कपूर मुख्य भूमिका में थे। उनकी आखिरी फिल्म ‘जिन्ना’ (1998) और मर्चेंट आइवरी प्रोडक्शन की ‘साइड स्ट्रीट’ (1998) है। ‘जिन्ना’ मोहम्मद अली जिन्ना का बायोपिक है। जिसमें वह कथावाचक की भूमिका में थे। लेकिन 4 दिसंबर 2017 को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद शशि कपूर (Shashi Kapoor) की आत्मा, परमात्मा में विलिन हो गई। आखिरी बार उन्हें ओमान मस्कट में शशि कपूर (Shashi Kapoor) फिल्म फेस्टिवल में देखा गया।
उन्हें कई अवार्ड से नवाजा गया। उन्हें 1965 में ‘जब जब फूल खिले’ के लिए ‘बेस्ट एक्टर’ का बीएफजेए अवॉर्ड, 1975 में ‘दीवार’ के लिए फिल्म फेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड, 1986 में ‘न्यू दिल्ली टाइम्स’ के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स फॉर बेस्ट एक्टर, 1988 में ‘न्यू दिल्ली टाइम्स’ के लिए ही बीएफजेए अवार्ड बेस्ट एक्टर, 1994 में ‘मुहाफिज’ के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड स्पेशल जूरी अवॉर्ड/स्पेशल मिशन और 2009 में सातवें पुणे अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया।