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Holi 2021: देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही होली, जानिए कैसे शुरू हुई थी त्यौहार मनाने की परंपरा

Holi 2021: ये जानना भी बेहद जरूरी है कि हम होली क्यों मनाते हैं? दरअसल इस त्यौहार को मनाने का कोई एक कारण नहीं है बल्कि इसके पीछे कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं।

नई दिल्ली: देशभर में होली (Holi 2021) का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोग एक दूसरे को रंग लगाकर उत्सव मना रहे हैं और बधाई दे रहे हैं।

ये एक ऐसा त्यौहार है, जिसका इंतजार सालभर किया जाता है। हिंदुओं के अलावा बाकी धर्मों के लोग भी इस त्यौहार का जमकर लुफ्त उठाते हैं। इस दिन सभी एक दूसरे को गले लगकर बधाई देते हैं और पुराने गिले शिकवों को दूर करते हैं।

ऐसे में ये जानना भी बेहद जरूरी है कि हम होली क्यों मनाते हैं? दरअसल इस त्यौहार को मनाने का कोई एक कारण नहीं है बल्कि इसके पीछे कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं।

भक्त प्रहलाद की कहानी

प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे लेकिन उनके पिता हिरण्यकश्यप इस बात से क्रोधित रहते थे। इसी वजह से हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को जान से मारने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका। इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, जिसे ये वरदान था कि उसके शरीर को आग नहीं जला सकती थी। होलिका, प्रहलाद को मारने के लिए उसे अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद की वजह से प्रहलाद को आग नहीं जला सकी और होलिका उस आग में जलकर भस्म हो गई। इस खुशी में लोग होली मनाते हैं।

राधा कृष्ण की कहानी

होली का त्यौहार हो और राधा-कृष्ण की बात ना हो, ऐसा हो नहीं सकता। दरअसल होली के त्यौहार मनाने के पीछे राधा-कृष्ण की एक कहानी भी प्रचलित है। दरअसल एक बार कृष्ण ने अपनी मां यशोदा के पास जाकर पूछा कि वो राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं। इस पर मां यशोदा ने कहा कि वे राधा के चेहरे पर वही रंग लगा दें, जिस रंग में उसे देखना चाहते हैं। इसके बाद कृष्ण ने सभी के साथ होली खेली और सबकों रंगों से रंग दिया। आज भी मथुरा और वृदांवन की होली विश्व प्रसिद्ध है।

राक्षसी ढुंढी की कहानी

कहा जाता है कि प्राचीन काल में एक राक्षसी थी, उसका नाम ढुंढी था। इस राक्षसी को ये वरदान था कि उसे देव, मानव, अस्त्र, शस्त्र, गर्मी, सर्दी या वर्षा कोई भी मार नहीं सकेगा। अपने वरदान के अहंकार में इस राक्षसी ने लोगों पर अत्याचार करने शुरू कर दिए थे। लेकिन इस राक्षसी को शिव का श्राप भी था, जिसकी वजह से बच्चे उसका वध करने में सक्षम थे। कहा जाता है कि कई बच्चों ने मिलकर घास फूस और लकड़ी को मिलकर जलाया और शोर मचाने लगे। इस शोर से राक्षसी की मौत हो गई। जिसके बाद से होली मनाने की परंपरा है।

राक्षसी पूतना का खात्मा

प्रचलित है कि भगवान कृष्ण ने इसी दिन राक्षसी पूतना का वध किया था। जिसकी खुशी में होली का त्यौहार मनाया जाता है।