कोरोना महामारी पर फतह पाने के लिए भारत में फिलहाल तीन स्वदेशी वैक्सीन (Corona Vaccine) फार्मास्यूटिकल कंपनियों समेत 8 प्रतिभागी वैक्सीन के निर्माण के करीब पहुंचने का दावा कर रहे हैं। उनकी दिलचस्पी है कि वे वैक्सीन की ज्यादा से ज्यादा खेप भारत में खपाएं। आबादी के लिहाज से यहां पर चीन के बाद भारत की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।
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वैज्ञानिकों का मानना है कि ये सर्व विदित है कि चीन भरोसेमंद नहीं है‚ इस वजह से वहां पर अब विकसित देश संपर्क करने से कतरा रहे हैं।ऐसे में भारत दुनिया के सभी देशों‚ कुछ मुस्लिम देशों को छोड़कर सभी का चहेता बन गया है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि प्रभावी योजना और महत्वपूर्ण प्रबंधन से भारत प्रति दस लाख पर मामलों की संख्या 7,078 रख पाया है। हालांकि वैश्विक औसत 8,833 है। भारत में मृत्यु दर 1.45 फीसदी है‚ जो वैश्विक औसत 2.29 फीसदी से बहुत कम है।
मिशन इंद्रधनुष वैक्सीनेशन कार्यक्रम में वर्तमान डिजिटल प्रयोग मील का पत्थर साबित हो चुका है। हमारा देश उन्नत को–विन डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रहा है‚ जिससे नागरिकों को वैक्सीन (Corona Vaccine) के लिए अपनी पंजीकरण कराने‚ अपनी स्थिति पर निगरानी रखने की सुविधा मिलेगी और उन्हें प्रक्रिया पूरी होने पर क्यूआर कोड आधारित इलेक्ट्रोनिक सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
वैज्ञानिकों की टीम हर स्तर पर सूक्ष्म डिजिटल निगरानी प्रणाली से हर स्थितियों पर पैनी नजर रख रही है। ऐसे में फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता है कि वैक्सीन (Corona Vaccine) के उत्पादन‚ वितरण‚ वैक्सीनेशन की चेन में कहीं पर किसी भी प्रकार की कमी की गुंजाइश हो।