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गंगा किनारे वाले छोरे का सदी के महानायक तक का सफर

Amitabh Bachchan

सदी के महानायक, बॉलीवुड के शहंशाह, एंग्री यंगमैन और बिग बी जैसे नामों से मशहूर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) आज 77 साल के हो गए हैं। उम्र के इस पड़ाव तक पहुंचने के बावजूद भी वो फिल्मों में उसी शिद्दत से सक्रिय हैं जितने वो युवावस्था में हुआ करते थे।  अमिताभ बच्चन ने 1970 के दशक में ‘‘जंजीर’, ‘‘दीवार’ और ‘‘शोले’ जैसी फिल्मों के माध्यम से युवा पीढ़ी के गुस्से को अभिव्यक्ति दी और उन्हें ‘‘एंग्री यंग मैन’ कहा गया। 1970 के दशक से शुरू हुआ अमिताभ का स्टारडम भारतीय सिनेमा में अब तक जारी है। 

बॉलीवुड को जिन चंद कलाकारों ने अपने क्राफ्ट से बदला और उसको एक नई दिशा दी उसमें अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का नाम सबसे पहले लिया जा सकता है। सन 1942 एक ऐसा साल है, जब 11 अक्टूबर को प्रयागराज की धरती पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का जन्म हुआ। कम लोगों को ही ये मालूम है कि अमिताभ बच्चन को उनके जन्म के सामय चंद दिनों के लिए एक नाम मिला था- इंकलाब राय। कुछ ही दिनों बाद उनके पिता हरिवंश राय बच्चन और मां तेजी बच्चन को लगा कि उन्हें अपने बेटे का कोई पारंपरिक नाम रखना चाहिए। फिर दोनों ने तय कर अपने पुत्र का नाम इंकलाब राय की जगह अमिताभ रखा । 

अमिताभ बच्चन की साहित्य में गहरी रुचि थी पर वो उस क्षेत्र में जाना नहीं चाहते थे। स्कूली दिनों से उनके अंदर थिएटर को लेकर गहरा लगाव था। अमिताभ की अभिनय कला को पहचान 1957 में निकोलाई गोगल के नाटक ‘इंस्पेक्टर जनरल’ में मेयर की भूमिका से मिली। इसमें उनकी भूमिका इतनी दमदार थी कि उन्हें बेस्ट एक्टर के लिए केंडल कप मिला । उनको ये पुरस्कार जेफ्री कैंडल के हाथों मिला था, जो कि खुद ही एक महान अभिनेता थे। 

इतिहास में आज का दिन – 11 अक्टूबर

दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) कोलकाता पहुंचे और वहां नौकरी करने लगे। अच्छी नौकरी थी, घर, गाड़ी और मोटी तनख्वाह लेकिन मन अभिनय में अटका हुआ था। कोलकाता में भी नाटकों में काम करने लगे, सराहना मिली। अभिनय के जुनून को देखते हुए उनके भाई अजिताभ ने कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल के सामने उनकी एक तस्वीर खींची और फिल्मफेयर-माधुरी की राष्ट्रीय प्रतिभा खोज प्रतियोगिता में भेज दी। अमिताभ का चयन नहीं हुआ। लेकिन इसी फोटो को देखकर ख्वाजा अहमद अब्बास ने अमिताभ को मिलने के लिए बुला लिया था।

‘सात हिन्दुस्तानी’ फिल्म मिलने की कहानी की कई बार चर्चा हो चुकी है लेकिन कम ही लोगों को ये पता होगा कि अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को मनोज कुमार ने अपनी फिल्म ‘यादगार’ में एक रोल ऑफर किया था। छोटा रोल होने की वजह से अमिताभ ने उसमें काम करने से मना कर दिया था। फिल्मों में रोल के लिए अमिताभ बच्चन का मुंबई के रूप तारा स्टूडियो में स्क्रीन टेस्ट भी हुआ था जिसमें भी वो सफल नहीं हो पाए थे। वहां उनको लेखन की ओर जाने की सलाह गई थी। फिर ‘सात हिन्दुस्तानी’ में रोल मिला। बॉलीवुड में कहा जाता है कि जिसकी पहली फिल्म पिटती है वो बाद में हिंट होता है। अमिताभ के साथ भी यही हुआ। उनकी शुरुआती दस फिल्में पिटीं लेकिन ‘जंजीर’ की सफलता ने अमिताभ के साथ साथ फिल्मों की भी दुनिया बदल दी।

अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने भी अपनी जिंदगी में उतार चढ़ाव देखे। सेट पर लगी गंभीर चोट से उबरने में लंबा वक्त लगा। फिर एक दौर आया जब उनकी फिल्में बुरी तरह से पिटने लगीं। उन्होंने एंटरटेनमेंट कंपनी बनाई वो घाटे में चली गई, राजनीति में गए वहां से बेआबरू होकर निकले। उन्होंने टीवी को चुना और ‘कौन बनेगा करोड़पति’ को होस्ट किया। सफलता एकबार फिर से सदी के महानायक के कदम चूमने लगी। उस दौर में किसी सुपर स्टार के लिए फिल्म को छोड़कर टी वी को चुनना बहुत मुश्किल था लेकिन बिग बी ने ये जोखिम उठाया। फिल्मों और भूमिकाओं के चुनाव में भी सतर्क हुए। अमिताभ बच्चन को बचपन में मुक्केबाजी का शौक था। उनके पिता हरिवंश राय बच्चन ने उनको मुक्केबाजी पर एक किताब दी जिसपर प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि यीट्स की एक पंक्ति लिखी थी- ‘तगड़ा प्रहार दिमाग के लिए बेहद आनंददायी होता है।‘ संभव है बचपन में पिता से मिली इस सीख की वजह से हर मुश्किल को आनंदपूर्वक झेलते चले गए। प्रसून जोशी ने अमिताभ बच्चन पर एक कविता लिखी है जिसकी अंतिम पंक्ति है ‘लहर सा उठा सारे तट धो गया।‘ ऐसे अनगिनत कवि हैं जिन्होंने समय समय पर अपनी कविताओं के माध्यम से अमिताभ की जिंदगी का गुणगान किया है।

अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के रूप में चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 15 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिल चुका है। उन्हें 1984 में पद्मश्री और 2001 में पद्मभूषण तथा 2015 में पद्मविभूषण भी दिया जा चुका है। इसके अलावा फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘‘लीजन ऑफ हॉनर’ भी मिल चुका है। जून 2000 में वे पहले ऐसे एशियाई थे जिनकी लंदन में मैडम तुसाद संग्रहालय में वैक्स की मूर्ति स्थापित की गई थी। इसके अलावा सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को भारतीय फिल्मों में महत्वपूर्ण योगदान के लिए फिल्मों के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।