Corona Virus की मार, अर्थव्यवस्था पर हाहाकार!

कोरोनावायरस (Corona Virus) भी SARS की तरह ही निमोनिया का वायरस है जो हवा और छूने से फैलता है। इसके रोगी को खांसी और बुख़ार होता है और सांस लेने में दिक़्क़त होती है।

Corna Virus, SARS, चीन, World Economic Forum

चीन में Corona Virus से अब तक 40 की मौत।

आपको याद होगा 2002 और 2003 के बीच SARS नाम का एक निमोनिया वायरस तेज़ी से फैला था जिस ने रोकथाम के लिए टीका तैयार होने तक 800 लोगों की जानें ले ली थीं। SARS का वायरस दक्षिणी चीन के ग्वांगडोंग प्रांत से फैलना शुरू हुआ था और देखते ही देखते 26 देशों में फैल गया था। उसी तरह का एक और वायरस पिछले एक पखवाड़े से तेज़ी से फैल रहा है जिसे कोरोनावायरस (Corona Virus) कहते हैं। कोरोनावायरस (Corona Virus) भी SARS की तरह ही निमोनिया का वायरस है जो हवा और छूने से फैलता है। इसके रोगी को खांसी और बुख़ार होता है और सांस लेने में दिक़्क़त होती है। यह मध्य चीन के वूहान शहर से फैलना शुरू हुआ है और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेतावनी जारी की है कि रोकथाम की कोशिशों के बावजूद कोरोनावायरस (Corona Virus) के फैलाव में तेज़ी आती जा रही है।

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चीन में Corona Virus से अब तक 40 की मौत।

अकेले चीन में इस वायरस से एक सप्ताह के भीतर 40 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग डेढ़ हज़ार लोगों का इलाज चल रहा है। चीन ने कोरोनावायरस  (Corona Virus)की रोकथाम के लिए वूहान समेत हूबे प्रान्त के 15 शहरों की यातायात नाकेबंदी कर ली है। चीन में बीते शनिवार को नया साल गया जो चीनी लोगों का सबसे बड़ा त्योहार होता है। करोड़ों चीनी नए साल के दिन शहरों से गांव-देहात में अपने-अपने परिवारों के साथ त्योहार मनाने जाते हैं। लेकिन कोरोनावायरस (Corona Virus) के फैलाव की रोकथाम के लिए चीन ने वूहान समेत पंद्रह शहरों में सड़क, रेल, जल और हवाई यातायात पर पाबंदी लगा दी है। साढ़े तीन करोड़ से ज़्यादा लोग अपने-अपने घरों में बंद हैं। रविवार से वूहान में निजी वाहनों पर भी पाबंदी लगाई जा रही है और होंग-कांग की सरकार ने अपने यहां वायरस इमरजेंसी या स्वास्थ्य आपात काल की घोषणा कर दी है।

इसके बावजूद कोरोनावायरस (Corona Virus) निमोनिया का फैलाव नहीं रुक पाया है। उसकी एक वजह यह है कि वूहान एक करोड़ से भी बड़ी आबादी वाला तेज़ी से बढ़ता महानगर है जो चीन के सारे महानगरों, बीजिंग, शंघाई, होंग-कोंग, शियान और चोंगचिंग के साथ सीधे सड़क, रेल और हवाई मार्गों से जुड़ा है। ऊपर से चीन के सबसे बड़े त्योहार का समय चल रहा है जिसके दौरान ज़्यादातर चीनी यात्रा करते हैं और इन यात्राओं की योजना महीनों पहले बना लेते हैं। इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि वायरस का पता चलने और नाकेबंदी के क़दम उठाने से पहले ही हज़ारों वायरस प्रभावित लोग इधर-उधर निकल चुके हैं। सरकार ने बीजिंग और शंघाई महानगरों में भी उन लोगों को दो हफ़्ते तक घरों से न निकलने को कहा है जो हाल में हूबे प्रांत से यात्रा करके आए हैं। कोरोनावायरस (Corona Virus) का मुकाबला करने के लिए चीनी सरकार वूहान में दो नए अस्पताल बना रही है। एक हज़ार बिस्तर वाला एक नया अस्पताल दस दिन के भीतर तैयार हो जाएगा और दूसरा 1300 बिस्तरों वाला अस्पताल एक महीने के भीतर तैयार कर लिया जाएगा।

रोकथाम की चीनी कोशिशों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अभी तक कोरोनावायरस (Corona Virus) के इस प्रकोप को अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य इमर्जेंसी घोषित नहीं किया है। लेकिन यूरोप, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के बहुत से देशों ने कोरोनावायरस (Corona Virus) की जांच शुरू कर दी है, ताकि इसे बाक़ी दुनिया में फैलने से रोका जा सके। फिर भी यह वायरस अमेरिका, फ़्रांस और ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश कर चुका है। फ़्रांस और अमेरिका में दो-दो और ऑस्ट्रेलिया में एक व्यक्ति का कोरोनावायरस (Corona Virus) के लिए इलाज चल रहा है। समूचे चीन में लोगों का तापमान लिया जा रहा है ताकि बुख़ार से ग्रस्त लोगों की वायरस जांच की जा सके।

चिंता की बात यह है कि कोरोनावायरस (Corona Virus) उन लोगों के संपर्क में आने पर भी फैल सकता है जिनके शरीर में खांसी और बुख़ार जैसे निमोनिया के आम लक्षण नज़र न आते हों। वैज्ञानिकों का मानना है कि SARS की तरह कोरोनावायरस (Corona Virus) भी जानवरों से इंसानों में फैला है। इसका न अभी तक कोई टीका है और न ही किसी को पूरी तरह इस बात का पता है कि यह कैसे फैल रहा है। चीन में डॉक्टर लोगों को खांसी और बुख़ार होने पर घरों में रहने और दवा खाने की सलाह दे रहे हैं। आम धारणा है कि यह वायरस लोगों की छींक और खांसी के ज़रिए तेज़ी से फैल सकता है। इसलिए चीन भर में लोग मुंह और नाक पर मास्क लगा कर बाहर निकल रहे हैं। चीन के सभी बड़े शहरों में मास्कों की कमी पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि मास्क लगाने से वायरस से पूरी तरह बचाव नहीं हो सकता। इसलिए बेहतरी इसी में है लोग सार्वजनिक जगहों पर जाने और घरों से बाहर निकलने से बचें। चीन के प्रभावित प्रांतो में शहरों की सुनसान सड़कों को देखते हुए लगता है कि चीन के लोग अनुशासन की बेहतरीन मिसाल कायम करते हुए सरकार की हर सलाह को मान रहे हैं।

सवाल उठता है कि जानवरों से इंसानों में फैलने वाले SARS कोरोनावायरस (Corona Virus) जैसे निमोनिया के वायरस चीनी शहरों से ही क्यों फैलते हैं। इसका एक कारण यह हो सकता है कि चीन की मांस मंडियों में ज़िंदा जानवरों का व्यापार करने की पुरानी परंपरा है। वहां चमगादड़ों से लेकर सांपों तक हर तरह के ज़िंदा जानवर बिकते हैं और कई शहरों में ज़िंदा जानवरों की ये मंडियां रिहाइशी इलाकों के बीच हैं या फिर उनसे सटे इलाकों में हैं। इसलिए चीनी शहरों में इन जानवरों से इंसानों में वायरस फैलने की संभावना सबसे प्रबल रहती है। SARS का वायरस चमगादड़ों और चूहों से फैला था और कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कोरोनावायरस (Corona Virus) सांपों से फैला है। इसलिए चीन को ज़िंदा जानवरों की इन मंडियों को रिहाइशी इलाकों से दूर करना होगा ताकि जानवरों से इंसानों में फैलने वाले वायरसों के ख़तरे की रोकथाम की जा सके।

चीन के जिन प्रांतो में कोरोनावायरस (Corona Virus) फैला है वे भारत की सीमा से नहीं लगते और वूहान और भारत के बीच हवाई यातायात भी बहुत ज़्यादा नहीं है। अभी तक प्रभावित हुए लोगों की संख्या और वायरस के कारण मरने वाले लोगों की संख्या को देखते हुए डॉक्टर इस नतीजे पर भी पहुंचे हैं कि यह वायरस शायद SARS जितना घातक नहीं है। निमोनिया की दवाओं के ज़रिए इस पर काबू पाया जा सकता है। फिर भी भारत को इस वायरस की रोकथाम के लिए बहुत सजग रहना होगा क्योंकि भारतीय शहरों के प्रदूषित वातावरण में इस वायरस का फैलना और भी घातक सिद्ध हो सकता है।

कोरोनावायरस (Corona Virus) के फैलाव का विश्व की अर्थव्यवस्था पर कैसा और कितना असर पडेगा इसका अंदाज़ा लगा पाना अभी मुश्किल है। फिर भी दुनिया के बाज़ारों में इसके आतंक का साया दिखाई पड़ने लगा है। पिछले शुक्रवार को दुनिया भर के बाज़ारों मे पिछले तीन महीनों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। सोने के दामों में उछाल आया और बाज़ार खलबली सूचकांक VIX में ज़ोरदार उछाल आया। स्विट्ज़रलैंड के बर्फ़ीले सैलानी शहर दावोस में चल रहे वार्षिक World Economic Forum या विश्व आर्थिक मंच में भी कोरोनावायरस (Corona Virus) से हो सकने वाले नुकसान पर चिंताएं प्रकट की गईं।

कहने को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोश की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने विश्व की धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था के धीमेपन का सारा ठीकरा भारत की अर्थव्यवस्था में आई मंदी के सिर फोड़ने की कोशिश की। लेकिन बात कुछ गले नहीं उतरती। यह सही है कि दुनिया ने भारत से सात प्रतिशत से ऊपर की आर्थिक विकास दर की उम्मीद लगा रखी थी। लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था का मात्र साढ़े तीन प्रतिशत के ही आसपास है। जबकि अमरीका की अर्थव्यवस्था दुनिया की अर्थव्यवस्था का 24 प्रतिशत और चीन की अर्थव्यवस्था 18 प्रतिशत है। इन दोनों के बीच साल भर से आर्थिक लड़ाई छिड़ी रही है जिसका असर तुलनात्मक रूप से भारत की छोटी सी अर्थव्यवस्था की से कहीं ज़्यादा होगा।

चीन की अर्थव्यवस्था भी एक लंबे अरसे से धीमी पड़ती आ रही है और ऊपर से अब कोरोनावायरस की वजह से व्यापार और दूसरी आर्थिक गतिविधियों पर गंभीर असर पड़ सकता है। इसलिए विश्व की अर्थव्यवस्था के अनुमान में आई प्रतिशत एक के दसवें हिस्से की गिरावट का 80 प्रतिशत दोष गीता गोपीनाथ ने किस हिसाब से लगाया यह अभी तक रहस्य है। चीन, यूरोप, कैनडा, लातीनी अमेरिका और पूरे एशिया प्रशान्त के देशों के साथ आर्थिक लड़ाइयां मोल लेने और खुले आम आर्थिक संरक्षणवाद की धमकियां देने में लगे रहे अमेरिकी राष्ट्रपति की नीतियों का विश्व की अर्थव्यवस्था में आई मंदी पर कोई असर नहीं पड़ा हो और सारा असर भारत की आर्थिक विकास दर में आई दो-तीन अंकों की गिरावट का पड़ा हो यह बात कितनी तर्कसंगत है इसका फ़ैसला आप ख़ुद करें।

दावोस का विश्व आर्थिक मंच इस साल अपनी स्वर्ण जयन्ती मना रहा था। इसलिए इस मंच से कुछ ख़ास सुनने की उम्मीद थी। आर्थिक मंच ने इस बार जलवायु परिवर्तन के ख़तरे को इस वर्ष का मुख्य विचारणीय विषय बनाया था। लोगों को उद्योगपतियों, नेताओं और अर्थशास्त्रियों से आशा थी कि वे कुछ ऐसी दलीलें पेश करेंगे जिनसे डोनाल्ड ट्रंप और स्कॉट मोरिसन जैसे जलवायु के अंधे नेताओं की आंखें भी खुल सकें। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। उल्टा सवाल विश्व आर्थिक मंच पर ही उठने लगे। जलवायु परिवर्तन की बात ही करनी थी तो उसके लिए दुनिया भर से एक महंगे बर्फ़ीले शहर में जमा होने और वहाँ तक पहुंचने और गर्म रहने में ही टनों कार्बन वातावरण में छोड़ने की क्या ज़रूरत थी? क्या यह काम नैरोबी में नहीं हो सकता था? क्या दावोस में दावत उड़ाने वाले ऐसे सवाल सुनना पसंद करेंगे?

दुष्यन्त कुमार की वे मशहूर पंक्तियां याद कीजिए।

मत कहो आकाश में कुहरा घना है।
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है।

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