देहरादून के आर्मी संस्थान में तैयार होते हैं भारत के शूरवीर, देखें: “मेकिंग ऑफ ए वॉरियर”

आईएमए (IMA Dehradun) के सामने की ओर चेटवोड हॉल और ड्रिल स्कवायर देखते ही बनते हैं। ग्रीको-रोमन और ब्रिटिश शैली के किंग्सले और कॉलिंस ब्लॉक इसकी भव्यता को और बढ़ा देते हैं।

IMA Dehradun

दुनियाभर में अपनी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए मशहूर भारतीय सेना को हर मोर्चे पर कुशल नेतृत्व देने वाले अधिकारियों की तैयारी ऐसे वातावरण में होती है जहां के वातावरण में हमेशा शांति, सदभाव और सौहार्द घुला हुआ है। सैन्य पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले फिल्म निर्माता-निर्देशक और लेखक शिव कुणाल वर्मा अपने सहयोगी दिप्ति भल्ला के साथ मिलकर आईएमए- देहरादून (IMA Dehradun पर आधारित अपनी फिल्म ‘मेकिंग ऑफ ए वॉरियर’ में इस जगह की खूबसूरती का महिमावर्णन इतनी बारीकी से किया है कि देखते ही मंत्रमुग्ध हो जाता है।

आईएमए-देहरादून (IMA Dehradun) का परिसर मूल रूप से कभी रेलवे स्टॉफ कॉलेज हुआ करता था। लेकिन सन् 1932 में यह सेना के हवाले कर दिया गया और फिर यहां भारतीय के ऑफिसर्स की ट्रेनिंग देने के लिए एकेडमी स्थापित कर दी गई क्योंकि ब्रिटिश काल में भारतीयों को ऑफिसर बनाना भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन की मांगों में से एक प्रमुख मांग थी। 1922 में प्रिंस ऑफ वेल्स ने इंग्लैंड के सैंडहर्स्ट के रोंयल मिलिटरी ऐकडमी जाने वाले भारतीयों के एक पोषक स्कूल के रूप में देहरादून से बाहर इंडियन मिलिटरी कॉलेज की स्थापना की।

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आईएमए (IMA Dehradun) शैक्षिक विषयों के साथ सेना से जुड़े विषयों पर विशेष जोर देता है। ऐसे में एनडीए से निकलकर आईएमए में प्रवेश करना भले ही एक ऑफिसर के जीवन में छोटा कदम हो, लेकिन एक कैडेट के लिए तो ये एक लंबी छलांग है। देहरादून घाटी देश की कुछ सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यह शिक्षा संस्थानों के लिए एक आदर्श जगह है। इसके दक्षिण में जंगल से लदी शिवालिक पहाड़ियां हैं, जो कि जीसी की ट्रेनिंग के लिए प्राकृतिक रूप से बेहद मुफीद जगह है। एकेडमी टोंस नदी के बायें तट पर स्थित है। यह शांत नदी हिमालय की निचली पहाड़ियों से निकलकर उत्तर की दिशा में बहती है। रात में मसूरी की झिलमिलाती रौशनी इस जगह की सुंदरता में चार चांद लगा देती है। घाटी के पूरब में गंगा और पश्चिम में यमुना नदी बहती है। 

आईएमए (IMA Dehradun) के सामने की ओर चेटवोड हॉल और ड्रिल स्कवायर देखते ही बनते हैं। ग्रीको-रोमन और ब्रिटिश शैली के किंग्सले और कॉलिंस ब्लॉक इसकी भव्यता को और बढ़ा देते हैं। इनमें जीसी का आवास है, जबकि हरे-भरे पेड़ों से घिरे रास्तों के इर्द-गिर्द आकर्षक बंगले बने हैं। जिनमें कमांडेट और सीनियर ऑफिसर रहा करते हैं। 

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