Photo Courtesy: Twitter- @MooPersists
अमेरिका में कोविड-19 (COVID-19) महामारी से मरने वाले जितने लोग जानकारी में हैं उनकी संख्या एक लाख पार कर गई है और रिकॉर्ड के अनुसार जिन लोगों को कोरोना वायरस लग चुका है उनकी संख्या 17 लाख पार करने वाली है। अमेरिका के इतिहास में युद्ध, महामारी और आपदाओं से होने वाली यह चौथी सबसे बड़ी जनहानि है। केवल अमेरिकी गृहयुद्ध, स्पेनी फ़्लू और दूसरे विश्वयुद्ध में इससे ज़्यादा अमेरिकी मारे गए थे। पर आंकड़े लोगों की व्यथा को बयान नहीं कर सकते। हर इंसान की मौत उसके परिवार और परिचितों के लिए एक बड़ा हादसा होती है। उसकी गंभीरता को किसी और भयावह आंकड़े की संभावना को खड़ा करके या फिर उसके लिए किसी दूसरे संस्थान या देश को गरिया कर कम नहीं किया जा सकता। बल्कि ऐसा करने से दूसरी ऐसी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं जिनके सामने एक लाख लोगों की मौत मामूली लगने लगे।
पिछले हफ़्ते की घटनाओं पर नज़र डालें तो दुनिया में कुछ-कुछ वैसा ही होता नज़र आ रहा है। अमेरिका की ट्रंप सरकार ने ऐसी हवा बांधने की कोशिशें शुरू कर दी हैं कि जैसे कोविड-19 (COVID-19) के वायरस को चीन ने अपनी किसी प्रयोगशाला में एक हथियार की तरह तैयार करके दुनिया पर छोड़ दिया हो। अमेरिकी राज्य मिज़ूरी ने चीन पर हरजाना देने का दावा कर दिया है और राष्ट्रपति ट्रंप खुले मंचों से यह मांग करने लगे हैं कि चीन को इस महामारी के लिए हरजाना भरना चाहिए। कोविड-19 (COVID-19) महामारी के फैलने की तटस्थ जांच कराने की मांग पर चीन के विरोध और गोलबंदी के प्रयासों के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्वावधान में जांच बैठा दी गई है। फिर भी ट्रंप साहब ने धमकी दी है कि यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक महीने के भीतर अपनी काम की शैली नहीं बदली और काम में पारदर्शिता लाने के लिए उचित बदलाव नहीं किए तो वे अमेरिका से मिलने वाले अनुदान को स्थाई रूप से बंद कर देंगे और संगठन की सदस्यता छोड़ने पर भी विचार करेंगे।
Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App