सांकेतिक तस्वीर।
यह बात पिछले कई सालों से सामने आ रही थी कि सरकार के कड़े रवैये की वजह से नक्सलियों (Naxals) की कमर टूट चुकी है। अब इस बात प्रमाण भी मिला है। खुलासा हुआ है कि पैसों की किल्लत से जूझ रहे नक्सली अब खेती-किसानी करवा रहे हैं। इस बात का पर्दाफाश उस वक्त हुआ जब छत्तीसगढ़ (Chhattisgath) के दंतेवाड़ा जिले के बारसूर-चित्रकोट रोड से नक्सली सहयोगी को पकड़ा गया और उसके पास से ट्रैक्टर भी जब्त किया गया है। माड़ के जंगल में नक्सली (Naxali) हाइब्रिड खेती के लिए पोटाश-यूरिया का भंडारण करते हैं।
सूत्रों की मानें तो नक्सली बस्तर और नारायणपुर जिले से यूरिया की खेप माड़ पहुंचाते हैं, जिसका उपयोग खेती के साथ विस्फोटक के लिए करते हैं। ठेकेदारों से लेवी वसूलने वाले नक्सली अब खेती-किसानी भी करने लगे हैं। वे जैविक और आधुनिक दोनों तरह की खेती कर रहे हैं। इसके लिए परंपरागत खाद, बीज व रोपाई-बुआई के साथ ट्रैक्टर और रासायनिक खाद का उपयोग कर रहे हैं।
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