छत्तीसगढ़: खुफिया एजेंसियों ने जारी किया अलर्ट, चुनाव के दौरान नक्सली कर सकते हैं बड़ा हमला

छत्तीसगढ़ में होने वाले पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने के लिए राज्य में नक्सलियों की हलचल बढ़ गई है। लोगों में दहशत फैलाने के लिए नक्सली आए दिन अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की कोशिश करते रहते हैं।

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छत्तीसगढ़ में होने वाले पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने के लिए राज्य में नक्सलियों (Naxal) की हलचल बढ़ गई है।

छत्तीसगढ़ में होने वाले पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने के लिए राज्य में नक्सलियों (Naxal) की हलचल बढ़ गई है। लोगों में दहशत फैलाने के लिए नक्सली आए दिन अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की कोशिश करते रहते हैं। खुफिया एजेंसी ने अलर्ट जारी किया है कि जिले में नक्सली कोई बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है।

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सांकेतिक तस्वीर।

पंचायत चुनाव के मद्देनजर जिले के एसपी ने नक्सल (Naxal) प्रभावित 7 थानों को अलर्ट जारी किया है। साथ ही पड़ोसी राज्य ओडिशा और धमतरी को जोड़ने वाली सीमा को भी सील कर दिया गया है। मेचका, बोरई, बिरनासिल्ली की सीआरपीएफ (CRPF) टीम एवं बहीगांव, नगरी, खल्लारी की सीएफ टीम की अलग-अलग टुकड़ी जंगलों में सर्च अभियान चला रही है। सुरक्षाबलों की नजर जिले के खूंखार नक्सली सत्यम गावड़े पर है, जिसका पकड़ा जाना बहुत जरूरी है।

कौन है सत्यम…क्यों जरूरी है उसका पकड़ा जाना?

पुलिस, सीआरपीएफ (CRPF) और अन्य सुरक्षाबलों के साथ-साथ खुफिया एजेंसियां भी नक्सलियों पर नजर रखे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, फोर्स की नजर जिले के खूंखार नक्सली (Naxal) सत्यम गावड़े पर है। सत्यम गावड़े मैनपुर-नुआपाड़ा डिवीजन कमेटी का कमांडर है। इलाके में नक्सली उसी के निर्देश पर काम कर रहे हैं। वह कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा थाना क्षेत्र के ग्राम कुर्सेबोड़ का रहने वाला है। उसकी पत्नी जानसी भी उसी गांव की है। सत्यम साल 2007-08 में नक्सलियों के साथ जुड़ गया था। बीच में सत्यम को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया था। लेकिन सुबूतों के अभाव में वह जेल से छूट गया था। जेल से छूटने के बाद वह फिर से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय हो गया। पुलिस अफसरों का मानना है कि सत्यम की गिरफ्तारी से नक्सलियों (Naxal) का कमर टूट जाएगी। सत्यम के दस्ते के करीब 12 से 15 नक्सली एकावरी, घोड़ागांव, चंदनबाहरा, खल्लारी, तेंदूडोंगरी, मासूलबोईर इलाके में सक्रिय हैं। जिसमें कुछ महिला नक्सली भी शामिल हैं।

ये इलाके हैं नक्सलियों के सुरक्षित पनाहगाह

जिले के नगरी-सिहावा बॉर्डर गरियाबंद और ओडिशा से जुड़ा है। तीनों जिले के बीच के बॉर्डर को नक्सली सुरक्षित ठिकाना मानते हैं। बारिश के 4 महीने में नक्सली (Naxal) इन इलाकों में रहते हैं। इसकी वजह यह है कि बारिश में टापू बनने से क्षेत्र के कई गांवों का मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है, जिससे सुरक्षाबलों का कम खतरा रहता है। इन इलाकों में घने जंगल भी हैं, जिसकी वजह से ये नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना बन जाते हैं।

फोर्स को किया अलर्ट जंगल में चल रही सर्चिंग

एसपी बीपी राजभानू के मुताबिक, पंचायत चुनाव के मद्देनजर क्षेत्र में नक्सलियों की हलचल बढ़ी है। सभी इलाकों में फोर्स को अलर्ट कर दिया गया है। धमतरी जिले के जंगलों में सुरक्षाबल लगातार सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। नगरी सहित सभी थानों को अलर्ट भी किया गया है।

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