दशकों लाल आतंक के साए में रहा अबूझमाड़ अब पर्यटकों से हो रहा गुलजार

नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से जुड़ी हिंसक घटनाओं में कमी आ रही है। इसका सुबूत है इस धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पर्यटन में हो रहा इजाफा।

Bastar

नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से जुड़ी हिंसक घटनाओं में कमी आ रही है। इसका सुबूत है इस धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पर्यटन में हो रहा इजाफा।

नक्सल प्रभावित राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से जुड़ी हिंसक घटनाओं में कमी आ रही है। इसका सुबूत है इस धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पर्यटन में हो रहा इजाफा। कभी नक्सलियों की वजह से बदनाम रहे छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में अब पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी है। नक्सल हिंसा में आई कमी और सीआरपीएफ (CRPF) की तैनाती का असर पर्यटन पर दिखने लगा है।

Bastar
नक्सलियों की वजह से बदनाम बस्तर (Bastar) में अब पर्यटकों की संख्या बढ़ने लगी है।

नक्सलियों के गढ़ के तौर पर बदनाम रहे अबूझमाड़ में काफी सुंदर झरने हैं। बस्तर (Bastar) में चित्रकोट, तीरथगढ़ जैसे विश्वविख्यात जलप्रपात हैं। वहीं कोटमसर की गुफाएं दशकों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहीं, लेकिन बस्तर का बहुत बड़ा हिस्सा अब तक लोगों से अछूता रहा। साउथ बस्तर (Bastar) के जंगलों में 11 खूबसूरत झरने हैं, जिनमें से ज्यादातर दुनिया की नजरों में नहीं आ पाए हैं। दंतेवाड़ा के निकट फूलपाड़ जलप्रपात तक स्थानीय लोग ही पहुंच पाते हैं। इसी इलाके में हांदावाड़ा जलप्रपात है। यहां तक पैदल ही जाया जा सकता है। कभी व्यस्त पिकनिक स्पॉट रहा सातधार का पुल नक्सल घटनाओं की वजह से यहां लोगों ने आना बंद कर दिया था।

सातधार जलप्रपात को बस्तर (Bastar) का भेड़ाघाट कहते हैं। यहां पुरातात्विक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध बारसूर में इंद्रावती नदी सात धाराओं में बंटकर बहती है। सातधार में पुल है, जिसके उसपार अबूझमाड़ का इलाका शुरू होता है। अबूझमाड़ में तो पहाड़ों और झरनों की पूरी श्रृंखला मौजूद है। सातधार पुल, जहां नक्सलियों की दहशत की वजह से पर्यटक ही नहीं, स्थानीय लोगों ने भी जाना बंद कर दिया था। लेकिन सीआरपीएफ (CRPF) कैंप बन जाने के बाद यह जगह पर्यटकों से फिर गुलजार हो गई है। अब पहली बार पर्यटकों की आवाजाही में वृद्धि देखी जा रही है। बीते तीन सालों में केंद्रीय अर्धसैन्‍य बलों, खासकर सीआरपीएफ की पहुंच सुदूर इलाकों तक हुई है।

पढ़ें: मुंगेर के युवा अब नहीं फंसेंगे नक्सलियों की जाल में, लेंगे रोजगार का प्रशिक्षण

सीआरपीएफ (CRPF) की तैनाती के बाद से ये आंकड़े बढ़े हैं। यहां आने-जाने वाले वाहनों की संख्या पर नजर रखने वाली सीआरपीएफ के आंकड़ों के अनुसार, यहां पर्यटकों की यात्राओं में भारी उछाल देखने को मिला है। आंकड़ों के मुताबिक, जून 2018 से जून 2019 तक सातधार पुल पर दोपहिया वाहनों की संख्या में 77 फीसद बढ़ोतरी हुई है। वहीं, कारों की बात करें तो इंद्रावती पुल और सतधार जलप्रपात पर जाने वाली कारों की औसत संख्या में साल 2018 के मुकाबले 87 फीसदी की वृद्धि हुई है। सीआरपीएफ (CRPF) के आंकड़ों के अनुसार, मंगनार/मालेवाही/हराकोदेर से बारसूर तक यात्रियों को लाने के लिए जीप/पिकअप की औसत संख्या में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।

सीआरपीएफ (CRPF) की 195वीं बटालियन ने इस संबंध में एक वीडियो भी बनाया है, जिसमें पर्यटकों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अबुझमाड़ क्षेत्र में झरना देखने के लिए आने में पहले डर रहता था, लेकिन अब हालात सामान्य हो रहे हैं। सीआरपीएफ (CRPF) द्वारा कुछ पर्यटकों के जारी किए गए वीडियो में वे बस्तर के नैसर्गिक सौंदर्य से अभिभूत दिख रहे हैं। केंद्रीय अर्धसैनिक बल ने इंद्रावती पुल और सतधार झरने पर जाने वाले पर्यटकों में से कुछ लोगों का नाम सहित डेटा भी एकत्र किया है। सीआरपीएफ (CRPF) अब इस इलाके में पर्यटकों की सुविधा के लिए काम करने की योजना बना रही है।

पढ़ें: अपने रोमांटिक रिश्तों को लेकर काफी बेबाक थे हरिवंश राय बच्चन

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App

यह भी पढ़ें